लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी समेत प्रदेशभर में स्कूली वाहन मासूमों की जिंदगी से खेलने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हुए हैं। आलम यह है कि फिटनेस और रजिस्टे्रशन खत्म होने के बावजूद ऐसे वाहन रफ्तार भरते हुए बच्चों को ढोने का काम कर रहे हैं। वहीं, हादसे होने के बाद जब पोल खुलती है तो अधिकारी कार्रवाई की बात करते हैं। विभाग द्वारा जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते एक वर्ष में प्रदेश भर में स्कूली वाहनों से 211 हादसे हुए थे, जिनमें 37 बच्चों की मौत हो गई। पर इसके बावजूद अधिकारी केवल स्कूलों और वाहन मालिक को नोटिस भेजने तक की ही कार्रवाई करते हैं।
लापरवाही से हो रहे हादसे
परिवहन विभाग के रोड सेफ्टी सेल ने जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच स्कूल वाहनों से हुए हादसों का ब्यौरा जारी किया है। इनमें 70 फीसदी प्राइवेट वाहन चालक थे तो 30 फीसदी स्कूल परमिट पर संचालित वाहन। वहीं, हादसों की वजह से 12 बच्चे दिव्यांग भी हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, इन दुर्घटनाओं में चालकों का तेज रफ्तार गाड़ी चलाना, अनफिट गाड़ी, ईयरफोन लगाकर गाड़ी चलाना, गाड़ी रॉन्ग साइड में चलाना समेत कई अन्य कारण सामने आए। इतना ही नहीं, गाड़ी की फिटनेस को लेकर भी बड़े स्तर पर खेल होता है। जहां चंद रुपये देकर गाड़ियों में खामियों के बावजूद उसे फिटनेस टेस्ट में पास कर दिया जाता है। वाहन स्वामी और परिवहन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत का खामियाजा मासूमों को भुगतना पड़ रहा है।
मुख्य सचिव करेंगे मीटिंग
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों को लेकर सरकार लगातार गंभीर बनी हुई है। इसी को लेकर मुख्य सचिव 11 अगस्त को प्रदेश भर के परिवहन अधिकारियों की बैठक लेने जा रहे हैं। यह बैठक वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए होगी। जहां प्रदेश भर के आरटीओ प्रवर्तन हिस्सा लेंगे। बैठक में खासबात यह होगी कि अनफिट स्कूल वाहन किसी भी दशा में सड़क पर संचालित नहीं हो। इसके लिए प्रदेश भर के प्रवर्तन दलों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। साथ ही हादसों पर लगाम लगाने की कवायद में और तेजी लाई जाएगी।
अनफिट स्कूली वाहनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। लखनऊ में हुई दुर्घटना में वैन चालक की लापरवाही सामने आई है। ऐसे स्कूल वाहनों के चालकों को जागरूक करने का काम किया जाएगा।
-पुष्पसेन सत्यार्थी, अपर परिवहन आयुक्त रोड सेफ्टी, परिवहन आयुक्त मुख्यालय