- उपभोक्ता परिषद ने की बिजली दरें कम करने की मांग

- केंद्र की रेटिंग में निम्न स्तर की पाई गई थीं यूपी की बिजली कंपनियों की रेटिंग

- 4 बिजली कम्पनियों को 100 में 35 नम्बर जुटाने में भी लाले

LUCKNOW: ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार की रेटिंग में यूपी की चार बिजली कंपनियों को सी प्लस व सी ग्रेड एवं 1 कम्पनी को बी ग्रेड की रेटिंग दिये जाने के अब बाद बिजली दरों की बढ़ोत्तरी पर लगाम लगाने की मांग उठी है। उप्र विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को उप्र विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा से मुलाकात कर इसकी मांग की।

4 साल में 55 परसेंट तक बढ़ी दरें

उपभोक्ता परिषद ने आयोग से कहा कि पिछले 4 वर्षो में 50 से 55 प्रतिशत औसत बिजली दरों में बढ़ोत्तरी हुई है फिर भी बिजली कंपनियों की हालत खस्ताहाल है। ये कंपनियों मानकों पर खरी नहीं उतर रही ऐसे में यह सिद्ध हो रहा है कि प्रदेश की बिजली कम्पनियां पूरी तरीके से उपभोक्ताओं के मानक पर खरी नही उतर रही हैं। इसलिए आयोग को इन कंपनियों के ऊपर सख्त कदम उठाने जरूरी हैं।

खराब थी परफॉर्मेस

भारत सरकार द्वारा जो रेटिंग में 100 नंबर कई मानकों को मिलाकर तय किये गये थे उसमें सबसे ज्यादा नंबर एटीसी लाइसेंस कम करने पर था लेकिन प्रदेश की बिजली कंपनियों में एटीसी लास 33 प्रतिशत से लेकर 40.8 प्रतिशत तक रिपोर्ट में आए। जो कि बहुत अधिक है। प्रदेश की 4 बिजली कंपनियों का नम्बर 100 में केवल 0 से 35 के बीच में रहा। केवल 1 कंपनी 35 से 50 के बीच में पहुच पायी। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वाचल की रेटिंग सी ग्रेड में पास भी नहीं हो पाई।

खुल गई पोल

जहां पर बडे़ पैमाने पर सुधार की बातें होती रहीं। ऐसे में ग्रेडिंग से कम्पनियों की पेाल खुल गयी। अब समय आ गया है कि बिजली दरों में बढोत्तरी पर पूर्णतया रोक लगाकर बिजली कम्पनियों के प्रबन्धन को सुधारने पर जोर दिया जाना चाहिये और कठोर कदम उठाया जाना चाहिए। इस पर आयोग अध्यक्ष ने आश्वासन देते हुए कहा है कि मामला गंभीर है और बढ़ते लाइन लॉस व एटीसी लॉस को कम करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।