लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ एफएसडीए की ओर से रेस्टोरेंट एवं मिठाई की दुकानों की हाईजीन रेटिंग शुरू कर दी गई है, वहीं दूसरी तरफ मंदिरों के बाहर मिलने वाले प्रसाद की क्वालिटी पर भी फोकस किया जा रहा है। प्रयास यही है कि मंदिरों के बाहर मिलने वाला प्रसाद भी मानकों के अनुरूप हो।

पहले बड़े मंदिरों पर फोकस
एफएसडीए की ओर से पहले चरण में बड़े मंदिरों पर फोकस किया जा रहा है। इसके बाद मध्यम फिर छोटे मंदिरों की तरफ कदम आगे बढ़ाए जाएंगे। अभी एफएसडीए की ओर से तीन मंदिरों और एक गुरुद्वारे पर फोकस किया गया है। एफएसडीए की ओर से चार से पांच बिंदुओं पर क्वालिटी कंट्रोल एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत कदम उठाए जाएंगे और यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंदिर प्रबंधन को एफएसडीए की ओर से सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।

दुकान संचालकों को ट्रेनिंग
एफएसडीए की ओर से मंदिरों के बाहर प्रसाद लगाने वालों को क्वालिटी कंट्रोल की ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि किस तरह से प्रसाद की क्वालिटी बेहतर की जा सकती है। इसके साथ ही उन्हें यह भी बताया जाएगा कि कौन से प्रोडेक्ट पब्लिक की सेहत के लिए बेहतर हैैं और कौन से खराब। जिसके आधार पर प्रसाद तैयार कराया जाएगा। ट्रेनिंग के दौरान प्रसाद में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के आसपास सफाई रखने की जानकारी दी जाएगी। ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा होने के बाद मंदिर प्रबंधक कमेटी को एफएसडीए की ओर से सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।

भोग कार्यक्रम के अंतर्गत हमारा प्रयास यही है कि मंदिरों के बाहर मिलने वाले प्रसाद की क्वालिटी बेहतर रहे। पहले चरण में बड़े मंदिर फिर छोटे मंदिर चिन्हित किए जाएंगे। ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद मंदिर प्रबंधकों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
-डॉ। एसपी सिंह, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन