लखनऊ (ब्यूरो)। तेल चोर नेताजी पर अब पुलिस का शिकंजा कसना शुरू हो गया। न केवल नेताजी व उनके समर्थकों के खिलाफ गैैंगस्टर की कार्रवाई की तैयारी है बल्कि उनकी अपराध से अर्जित संपत्ति को भी जब्त किया जाएगा। ईसी एक्ट के तहत उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया जाएगा। फरार नेताजी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें लगा दी गई हैैं। मौके से पुलिस ने मोहसिन और निर्मल नाम के दो लोगों को गिरफ्तार किया था।

बिना डिजीटल लॉक खोले चुराते थे तेल
डिप्टी एसपी अवनीश्वर के मुताबिक, गिरफ्तार निर्मल ने बताया कि टैंकर के डिजीटल लॉक को खोले बिना इसके अंदर भरे तेल व स्प्रिट को चोरी कर लिया जाता था। आरोपी सपा नेता अरुण यादव को पता रहता था कि किस रास्ते से दूसरे प्रदेशों की डिस्टलरियों से टैंकर आ रहे हैं। हाते में मौजूद लोग लाक में लगी राड को ऊपर उठा देते थे। इससे टैंकर के ऊपर के सभी ढक्कनों से राड हट जाती है। फिर पाइप पेट्रोल/डीजल/स्प्रिट को 50-60 लीटर वाले छोटे ड्रमों में भर लिया जाता था।

नकली शराब का भी था कारोबार
एसटीएफ जब हाता पहुंची तो देखा कि चारों ओर ऊंची दीवारे हैं। दो लोग गेट पर पहरा दे रहे हैं। कैमरे भी लगे हुये हैं। इसी दौरान दो हॉफ डाला आये जिनके लिये दरवाजा खुला। बस, इसी समय एसटीएफ अंदर घुस गई। डिप्टी एसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव ने बताया कि अरुण यादव पेट्रोल-डीजल चोरी करने के अलावा डिनेचर्ड स्प्रिट की चोरी भी टैंकरों से करता था। एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर बेचा जाता था। जितना तेल टैंकर से खाली करते थे, उतना उसमें पानी मिला दिया जाता था। एसटीएफ को पता चला है कि पंजाब व हरियाणा को जाने वाली स्पेशल डिनेचर्ड स्प्रिट के टैंकर विशेष रूप से यहां आते थे। इनसे स्प्रिट और एथेनॉल चोरी कर उससे मिलावटी शराब तैयार की जाती थी।

कनकहा चौकी पुलिस शक के घेरे में
इंस्पेक्टर अखिलेश मिश्रा के मुताबिक, पकड़े गए आरोपी ने बताया कि डीजल व पेट्रोल आस-पास के गांव व कस्बों में इसे बेचने वालों को सप्लाई किया जाता था। साथ ही स्प्रिट से शराब बना कर बेची जाती थी। पुलिस ने आपूर्ति विभाग को भी कार्रवाई के लिए सूचना भेज दी है। ग्रामीणों ने बताया कि काफी समय से टैंकर से डीजल-पेट्रोल निकालने का कारोबार किया जा रहा था। जिस जगह पूरा काम होता था। वह इलाका कनकहा पुलिस चौकी क्षेत्र में आता था। कनकहा चौकी पुलिस अनजान बनी रही। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस को सब पता थ, पर मिलीभगत की वजह से कभी कार्रवाई नहीं हुई।