- ओलंपियन मो। शाहिद के निधन से खेल जगत में शोक की लहर

LUCKNOW: ड्रिबलिंग के बादशाह माने जाने वाले शाहिद की रुखसती से खेलप्रेमियों में शोक की लहर है। ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे मो। शाहिद ने बुधवार को गुड़गांव (हरियाणा) में आखिरी सांस ली। खेल प्रेमियों का मानना है कि उनके जैसा खिलाड़ी अब मिलना मुश्किल है। शाहिद का रियो ओलंपिक में जाने का भी सपना था जो अधूरा रह गया। मो। शाहिद ने अपने जीवन के अनमोल समय नवाबों की नगरी लखनऊ में बिताए हैं।

बीमारी में भी हॉकी की बात की

यूपी के खेल निदेशक और पूर्व इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर आरपी सिंह ने बताया कि दिल्ली के मेदांता हॉस्पिटल में जाकर मैं कई बार उसने मिला तो वह हॉकी पर चर्चा करने से नहीं चूके। उन्होंने यही कहा कि यदि मैं ठीक हो गया था इस बार रियो ओलम्पिक में जरूर जाऊंगा। इस बार हॉकी टीम में काफी सुधार हुआ है। टीम से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। इतना ही नहीं उन्होंने मुझसे लखनऊ में दिसम्बर में होने वाले जूनियर व‌र्ल्ड कप के बारे में भी जानकारी ली थी। यह बताने के साथ ही आरपी सिंह का गला रुंध गया, लेकिन उनकी यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी और रियो ओलम्पिक शुरू होने के 15 दिन पहले ही उन्होंने हम लोगों को अलविदा कह दिया।

जिंदा दिल इंसान थे शाहिद

पूर्व ओलम्पियन सैयद अली ने बताया कि उनके खेल के बारे में कुछ भी कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा। उन्होंने बताया कि हमने और शाहिद ने खासा वक्त साथ गुजारा है। हॉस्टल में उनके साथ रहा और कई टूर्नामेंट भी साथ खेले। वह एक अच्छे खिलाड़ी तो थे ही लेकिन बहुत मजाकिया और मददगार व्यक्ति भी थे। मैदान में जूनियर्स को हमेशा बेहतर खेलने के लिए प्रमोट करते थे।

खौफ खाते थे विरोधी

पूर्व ओलम्पियन सुजीत कुमार ने बताया कि उनके जैसी हॉकी खेलना हर किसी के बस की बात नहीं है। मैदान में उनके उतरते ही विरोधी टीमें सिर्फ उन्हीं को रोकने के बारे में सोचती, लेकिन उन को रोकना किसी के बस की बात नहीं होती। बॉल ड्रिबिल करते वह कब कहां किस जगह पहुंच कर गोल ठोक देंगे यह विरोधी टीम को क्या उनके साथियों को भी नहीं पता होता था।

लखनऊ में मो। शाहिद का सफर

- केडी सिंह बाबू स्टेडियम में मो। शाहिद ने 78 में हॉस्टल ज्वाइन किया।

- उसके बाद 79 में इंडिया टीम में आने के बाद वह यहां से रवाना हो गए।

- रेलवे में सबसे पहले उन्होंने नार्थ ईस्ट रेलवे ज्वाइन किया। उसके बार डीएलडब्ल्यू रेलवे ने उन्हें खेल अधिकारी बनाया।

शोक सभा का आयोजन

पूर्व ओलम्पियन पद्मश्री मो। शाहिद के निधन पर केडी सिंह बाबू स्टेडियम में शोक सभा आयोजित की गई। इसके बाद यहां पर खिलाडि़यों को छुट्टी दे गई। बाबू स्टेडियम में सभी खिलाडि़यों और खेल संघों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। नेशनल कॉलेज के पास चंद्रभान खेल गुप्त मैदान पर शोक सभा आयोजित की गई। यहां पर हॉकी खिलाडि़यों के साथ ही पूर्व ओलम्पियन सै। अली, सुजीत कुमार समेत कई खिलाड़ी मौजूद रहे। आईएएस अमित घोष भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि मो। शाहिद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

जीवन परिचय

- जन्म 11 अप्रैल 1960 वाराणसी में

- 1979 में वह भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बनें

- 1980 ओलम्पिक मास्को- स्वर्ण पदक

- 1982 एशियन गेम्स दिल्ली -रजत पदक

- 1986 एशियन गेम्स सिओल-कांस्य पदक