लखनऊ (ब्यूरो)। हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में गुरुवार को आसिफी इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस छोटे इमामबाड़े पर खत्म हुआ। जुलूस में 22 फिट की मोम और 17 फिट की अभ्रक की जरीह मुख्य आकर्षक का केन्द्र रही। अश्कबार आंखे, हाथों में अलम और लबों पर या हुसैन की सदाओं के साथ पहली मोहर्रम को जब बड़े इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस निकला तो अजादारों की आंखें नम हो गई। जुलूस में हजारों की तादाद में औरतें, बच्चे व बुजुर्ग शामिल होने के लिए बड़े इमामबाड़े पहुंचे।

अजादारों की आंखों में आंसू आ गए

इसे पूर्व मौलाना मोहम्मद अली हैदर ने मजलिस को खिताब किया। शाही जरीह के जुलूस में मजलिसे गम है शाहे हुदा की, आज पहली है माहे अजा की धुन सुनकर अजादारों की आंखों में आंसू आ गए। जुलूस के बीच मार्सियाख्वान अपनी दर्द भरी आवाज में मदीने से हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की रुखसत का मंजर बयान कर रहे थे, जिसे सुनकर अजादार अश्कबार हो रहे थे। शाही जरीह का जुलूस अजादारी रोड होता हुआ देर रात छोटे इमामबाड़े पर समाप्त हुआ। जुलूस के आगे सबील, माहे मरातिब (मछली) ताज, शेरे दहां, सूरज और चांद से सजे हुए हाथी और ऊंट पर लोग हाथों में काले झंडे लेकर चल रहे थे। उसके पीछे मातमी बैंड, चोबदार, अलम हजरत अब्बास (अ.स.) लिए लोग या हुसैन की सदाएं बुलंद कर रहे थे। सबसे पीछे मोम और अभ्रक की शाही जरीह थी। जुलूस के बीच मार्सियाखान कर्बला में इमाम (अ.स.) पर हुए जुल्म पर मार्सियाख्वानी कर रहे थे।

जुलूस में सबीलों का इंतजाम

जुलूस में दूर दराज से आए अजादारों के लिए कई लोगों ने चाय और पानी की सबीलों को भी इंतजाम किया था। आसिफदौला पार्क से लेकर घंटाघर और छोटे इमामबाड़े तक कई चाय पानी और तबरुक की सबीले लगाई गई थी। इसके अलावा हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से भी जुलूस में चाय व पानी की सबील की गई।

घरों में अजाखाने सजे

पहली मोहर्रम के मौके पर गुरुवार को घर-घर अजाखाने सज गये और उसमें ताजिये व जरीह रख दी गयी इसी के साथ या हुसैन-या हुसैन की सदाएं गूजने लगी। घरों में नौहाख्वानी व मातम का सिलसिला शुरू हो गया। हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों की याद में आयोजित होने वाली अशरा-ए-मजलिस के आज पहले दिन शहर के तमाम इमामबाड़ों और कर्बलाओं में मजलिस-ओ-मातम का आगाज हो गया जो दो महीने तक जारी रहेगा। आज की मजलिसों में कही हजरत इमाम हुसैन के दूत हजरत मुस्लिम इब्ने अकील की शहादत का जिक्र तो कही हजरत इमाम हुसैन के कर्बला पहुंचने का जिक्र हुआ।

अजादारी और फर्शे अजा की अहमियत

इमामबाड़ा गुफरामाआब चौक में मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने मजलिस को खिताब करते हुए अजादारी और फर्शे अजा की अहमियत और अजमत बयान किया। मौलाना ने कहा कि अजाए इमाम हुसैन निजात का बेहतरीन जरिया है। उन्होंने इममाबाड़ा जन्नतमाब तकी साहब चौक में मौलाना सैफ अब्बास ने मजलिस को खिताब करते हुए अजमते अहलेबैत बयान की। इमामबाड़ा आगा बाकिर चौक में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि कर्बला का आलमे इंसानियत पर अहसान यह है कि कर्बला ने कामयाबी का एक नया मेयार कायम किया। मदरसे नाजमिया बजाजा में मौलाना हमीदुल हसन ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि हमारे देश में आपस में फैली हुई दूरियों को दूर करना होगा। इमामबाड़ा मजहर हुसैन मकबरा आलिया गोलागंज में मौलाना सय्यद राहिब हसन ने मजलिस को खिताब किया।

यहां भी हुआ जिक्रे कर्बला

इमामबाड़ा सै। आगा विक्टरिया स्ट्रीट में मौलाना अखतर अब्बास, इमामबाड़ा कसरे हुसैनी बिल्लौचपुरा मौलाना मोहम्मद मियां आब्दी, इमामबाड़ा मकसदे हुसैनी घासमंडी मौलाना रईस काजमी, इमामबाड़ा अफजल महल में मौलाना आगारूही ठंडी मस्जिद, मंसूर नगर मौलान सैयद वाहिद हुसैन और रौजा-ए-जैनबया टिकैतराय तलाब व रईस मंजिल में मौलाना तकी रजा ने मजलिस को खिताब किया।

आमद-ए-काफिले हुसैनी का मंजर आज

दूसरी मोहर्रम के मौके पर कर्बला दियानुतदौला परिसर में इदारा-ए-सक्का-ए-सकीना नूरबाड़ी द्वारा जुलूसे आमद-ए-काफिले हुसैनी शुक्रवार को निकाला जायेगा। इससे पूर्व मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी शाम चार बजे मजलिस को खिताब करेंगे। जुलूस में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों के कर्बला पहुंचने का मंजर पेश किया जायेगा।