- झील में बचा करीब 7.4 वर्ग फुट पानी

LUCKNOW: आने वाले कुछ दिनों में ट्रांसगोमती इलाके में पानी का संकट गहरा सकता है। दो प्रमुख एरिया इंदिरा नगर और गोमती नगर में पानी की सप्लाई कठौता झील से की जाती है। करीब साढ़े तीन लाख लोग कठौता के पानी का यूज करते हैं। कठौता झील में शारदा नहर से पानी आता है। झील की क्षमता प्रतिदिन पानी सप्लाई की 70 एमएलडी है। जबकि इस एरिया में पानी की डिमांड करीब 110 एमएलडी से ज्यादा की है। वर्तमान में कठौता का पानी सूखने की स्थिति में है। करीब 7.4 वर्ग फुट पानी शेष बचा है। सिंचाई विभाग के अनुसार 30 अप्रैल तक पानी की सप्लाई शुरू हो सकती है, जबकि कठौता में सप्लाई के लिए महज चार दिन का पानी शेष है।

इंदिरा नगर

पानी की सप्लाई

20 लाख लीटर/दिन

पानी की डिमांड

50 लाख लीटर/दिन

पानी की कमी

30 लाख लीटर/दिन

पानी के सरकारी स्त्रोत

- कठौता झील (वाटर व‌र्क्स)

- 45 पानी की टंकियां

- 38 ट्यूबवेल

- 265 हैंडपंप

गोमती नगर

सप्लाई 25 लाख लीटर/दिन

डिमांड 55 लाख लीटर/दिन

कमी 30 लाख लीटर/दिन

पानी के सरकारी स्त्रोत

- कठौता झील (वाटर व‌र्क्स)

- 52 पानी की टंकी

- 44 ट्यूबवेल

- 280 हैंडपंप

घटता जलस्तर

गोमती नगर 2.4 मीटर

इंदिरा नगर 2.85 मीटर

कठौता की क्षमता

28 हजार वर्ग फुट का क्षेत्रफल

10.8 फुट पानी स्टोर करने की क्षमता

7.8 फुट पानी कठौता में बचा

बढ़ सकता है जल संकट

शारदा नहर में सिंचाई विभाग 30 अप्रैल तक पानी छोड़ने की बात कह रहा है। जबकि शारदा नहर में पानी छोड़ने के दो दिन बाद कठौता तक पानी पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। यानि 2 से 3 मई तक कठौता पूरी तरह भर पाएगा। ऐसी हालत में सात दिन बाद तक कठौता पूरी तरह से सूख जाएगा। जिससे गोमती नगर और इंदिरा नगर में सप्लाई पूरी तरह से बाधित हो सकती है। जलकल विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए पहले से कोई व्यवस्था नहीं की है। हालांकि प्रशासन ने निर्देश दिये है कि जिन इलाकों में पानी की समस्या की जानकारी मिलती है वहां जलकल विभाग पानी का टैंकर उपलब्ध कराया।

कई इलाकों में लो प्रेशर की समस्या

इंदिरा नगर और गोमती नगर के कई इलाकों में लो प्रेशर और पानी की समस्या नजर आने लगी है। कटौती के चलते पानी की सप्लाई बाधित हो रही है। कई इलाकों में तो पिछले चार-पांच दिन से भीषण पानी की संकट है। इन एरिया में कठौता से पानी की सप्लाई होती है। हैंडपंप और खराब ट्यूबवेल के चलते संकट और भी बढ़ सकता है।

80 फीसदी हैंडपंप खराब

इंदिरा नगर और गोमती नगर में पार्षद, विधायक और सांसद निधि के अलावा जेएनएनयूआरएम के तहत पब्लिक के लिए हैंडपंप लगाए गए थे। हर वर्ष हैंडपंप लगाए जाते हैं, लेकिन घटते जलस्तर के चलते हैंडपंप खराब हो जाते है। एरिया में करीब 80 प्रतिशत हैंडपंप या तो खराब है या फिर उनसे बालू निकल रहा है, जिससे पानी पीने योग्य नहीं है।

प्रतिदिन 200 लीटर पानी प्रति व्यक्ति

लखनऊ सिटी की जनसंख्या लगभग पैंतालिस लाख है। जहां हर रोज प्रति व्यक्ति पानी की खपत का मानक 200 लीटर है। हर वर्ष ग्राउंड वाटर लेवल घट रहा है। 2011 में हुए एलयू के भूगर्भ विज्ञान डिपार्टमेंट के एक सर्वे के अनुसार तीस लाख जनसंख्या वाले लखनऊ शहर में 60 हजार मिलियन लीटर पानी की जरूरत प्रतिदिन होती है। इतने पानी की डिमांड दो तरीके से पूरी की जाती है। पहला जलकल विभाग और दूसरा ग्राउंड वाटर रिसोर्स के जरिए। हालांकि, जलकल विभाग के पास महज तीन वाटर व‌र्क्स हैं। जो नदी के जरिए रॉ-वाटर के शुद्धीकरण के बाद सिटी में सप्लाई की जाती है। वहीं, 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग ग्राउंड वाटर सप्लाई से अपनी जरूरत पूरी करते हैं।

मोटर पंप लगाने से बढ़ रहा जल संकट

अधिकांश जगहों पर लोग पाइप लाइन में मोटर पंप लगाकर पानी खींचते हैं। इस कारण पाइप लाइन के आखिरी छोर तक पानी नहीं पहुंचता है और बड़े मोटर पंप लगाने के कारण पेयजल दूषित भी हो जाता है। समयावधिक के बाद मोटर पंप केवल टंकी में एकत्रित पानी खींचने के लिए लगाया जाए। सीधे वाटर लाइन में मोटर पंप न लगाया जाए। गऊघाट में पांच पंप लगे हैं। गऊघाट को एक पंप और लगाकर रॉ-वाटर सप्लाई बढ़ाया जाना है।