30 फीसद बच्चे क्लास 5 तक के नहीं कर रहे ऑनलाइन क्लास

20 फीसद तक की कमी सीबीएसई बोर्ड के रजिस्ट्रेशन में

10 फीसद तक की कमी यूपी बोर्ड की क्लास 9 में

- राजधानी में एक लाख से अधिक बच्चों ने छोड़ दी पढ़ाई

- नहीं ही कर रहे ऑनलाइन क्लास और ना ही दी स्कूल को कोई सूचना

- सभी बोर्डो में नौवीं और 11वीं के स्टूडेंट्स के रजिस्ट्रेशन में भी आई कमी

LUCKNOW:

केस-1

डीपीएस इंदिरा नगर में क्लास फोर में पढ़ने वाली रुचिका (बदला हुआ नाम) इस साल घर पर मम्मी-पापा से पढ़ाई कर रही है। रुचिका स्कूल जाना चाहती पर उसके पापा इस साल उसे स्कूल नहीं भेज रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पहले तो ऑनलाइन क्लास करवाई लेकिन यह छोटे बच्चों के किसी काम की नहीं है, इसलिए पढ़ाई छुड़वा दी।

केस-2

सीएमएस गोमती नगर विस्तार की क्लास थर्ड में पढ़ने वाली गर्विका (बदला हुआ नाम) की पढ़ाई भी पेरेंट्स ने छुड़वा दी है। कारण यह है कि गर्विका के पापा की जॉब सही नहीं चल रही है। कंपनी ने सेलरी में भारी कटौती कर दी है। पेरेंट्स ने गर्विका की बड़ी बहन की पढ़ाई तो चालू रखी है लेकिन अब वे गर्विका को नए सेशन में दूसरे स्कूल में पढ़ने के लिए भेजेंगे।

केस-3

एलपीएस गोमतीनगर के क्लास सेवेंथ के दिव्यांश (बदला हुआ नाम) के पिता की लॉकडाउन के कारण नौकरी चली गई है। स्कूल ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए फीस मांगी तो उन्होंने अपने बच्चे को स्कूल से हटा लिया। पेरेंट्स नए सेशन में बच्चे को किसी दूसरे स्कूल में पढ़ाने की बात कह रहे हैं।

ऐसे करीब एक लाख बच्चे राजधानी में हैं जिनकी पढ़ाई पेरेंट्स ने बीच सत्र में ही छुड़वा दी है। इन स्टूडेंट्स में सरकारी स्कूलों के साथ-साथ फेमस प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं। इन बच्चों में किसी के पेरेंट्स ने ऑनलाइन को सही नहीं मानकर पढ़ाई छुड़वाई है तो कई पेरेंट्स कोरोना के कारण अब इस स्थिति में ही नहीं हैं कि वे बच्चों की अधिक फीस जमा कर सकें। वहीं कई पेरेंट्स ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने बड़ी क्लास में पढ़ रहे बच्चों की फीस तो जमा की है लेकिन छोटी क्लास में पढ़ने वाले बच्चे का नाम स्कूल से कटवा दिया है।

नहीं ली ऑनलाइन क्लास

स्कूल छोड़ने वाले इन बच्चों में किसी ने स्कूलों की ओर से शुरू की गई एक भी ऑनलाइन क्लास नहीं ली है। स्कूल प्रबंधन ने जब इनके पेरेंट्स को फोन किया तो पेरेंट्स ने कई तरह की समस्याएं बताते हुए साफ कर दिया कि वे फिलहाल अपने बच्चों की पढ़ाई नहीं जारी रख सकते हैं। इनमें से अधिकतर पेरेंट्स ने स्कूल प्रबंधन से साफ कहा है कि ऑनलाइन क्लास का कोई मतलब नहीं है।

छोटी क्लास में ज्यादा समस्या

राजधानी के अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के प्रेसीडेंट अनिल अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल ड्रॉप आउट करने वाले स्टूडेंट्स में सर्वाधिक संख्या नर्सरी से पांचवीं क्लास के बच्चों की है। इन क्लासों में पढ़ने वाले सिर्फ 60 से 70 फीसद बच्चे ही ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं। इनमें से कई स्टूडेंट इस लिए ड्रॉप आउट कराए गए हैं क्योंकि उनके भाई या बहन बड़ी क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं। फीस को लेकर आ रही दिक्कतों के कारण भी बच्चों के नाम स्कूल से कटवाए गए हैं।

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किन कारणों से कम हो गए स्टूडेंट

- लॉकडाउन के कारण पेरेंट्स की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है

- पेरेंट्स छोटी क्लास के लिए ऑनलाइन क्लास बेहतर नहीं मान रहे

- पेरेंट्स बड़ी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों की ही करा रहे क्लास

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फाइनल एग्जाम के लिए नहीं हो रहे तैयार

स्कूलों की ओर से इन बच्चों के पेरेंट्स को फोन कर ऑनलाइन क्लास में शामिल होने को कहा जा रहा है, ताकि वे फाइनल एग्जाम की तैयारी कर सकें। इसके बाद भी पेरेंट्स अगले सेशन में ही पढ़ाई कराने की बात कर रहे हैं। स्कूल उनसे फीस में रियायत देने को भी कह रहे हैं लेकिन इसके बाद भी पेरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं हैं।

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कम हो गए रजिस्ट्रेशन

कोरोना काल में बोर्ड एग्जाम के लिए होने वाले रजिस्ट्रेशन की संख्या भी कम हो गई है। यूपी बोर्ड में नौवीं में बीते साल 50,102 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जो इस बार 46 हजार के आसपास ही रह गया है। 11वीं में करीब 52 हजार स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था जो अब 45 हजार के आसपास है। वहीं सीबीएसई बोर्ड के नौंवी और 11वीं के रजिस्ट्रेशन में भी 20 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है।

कोट

हमने सभी प्राइवेट स्कूलों से डाटा लिया है। करीब एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स ने सेशन 2020-21 में एक भी दिन क्लास नहीं की। छोटी क्लासेस के स्टूडेंट्स के लिए चल रही ऑनलाइन क्लासेस में 30 फीसद से अधिक स्टूडेंट्स ड्रॉप हो चुके हैं।

- अनिल अग्रवाल, प्रेसीडेंट, अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन