लखनऊ (ब्यूरो) । केजीएमयू के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च एवं हिमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ। एके त्रिपाठी ने बताया कि सभी मनुष्य के जीन की संरचना अलग होने के साथ मॉलिक्यूलर स्तर पर भी बदलाव देखने को मिलते हैं। इसकी वजह से बीमारियों से लेकर दवा तक का असर अलग-अलग देखने को मिलता है। ऐसे में म्यूटेशन जीन की पहचान करके दवाओं का भी पुख्ता चयन किया जा सकता है। इसी को देखते हुए पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में व्यापक तरीके से एक व्यक्तिगत रोगी के कई पहलुओं जैसे आयु, जेंडर, आनुवांशिक विशेषताओं आदि को शामिल किया जाता है।

सभी विभागों के साथ होगी बैठक
डॉ। त्रिपाठी ने बताया कि इस सेंटर के काम को आगे बढ़ाने के लिए उन सभी विभागों के डॉक्टरों से बात की जायेगी जहां इस तरह के ट्रीटमेंट की सबसे ज्यादा जरूरत होगी। सबसे पहले जिन जींस म्यूटेशन के बारे में पता है, उनको लेकर काम किया जायेगा। इसके तहत सीफॉर, बॉयोकेमिस्ट्री, फार्मकोलॉजी, आंकोलॉजी, कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी व एचआईवी आदि के ट्रीटमेंट में यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगा। जिसमें ब्लाड क्लॉटिंग, हर प्रकार का कैंसर, स्ट्रोक, दिल की समस्या, मिर्गी व एचआईवी आदि के लिए जो दवा दी जाती है, उनको लेकर काम किया जायेगा।

सैंपल कलेक्शन का बनाना है मैकेनिज्म
डॉ। त्रिपाठी के मुताबिक पर्सनलाइज्ड दवा के लिए ब्लड सैंपल की जरूरत होती है। ऐसे में सैंपल कलेक्शन कैसे होगा, कौन करेगा, कहां पर रखे जायेंगे आदि को लेकर काम करना है। ताकि जब विभागों द्वारा सैंपल भेजे जायें तो उसी अनुसार सैंपल की जांच करने के बाद सही दवा के बारे में बताया जा सके। क्योंकि दवा की डोज और साइड इफेक्ट हर किसी में अलग-अलग होता है। ऐसे में सही डोज निर्धारित करने में डॉक्टरों को मदद मिलेगी।



इन चीजों पर भी रहेगी नजर
मरीज की उम्र
मरीज का जेंडर
आनुवांशिक विशेषताएं
मानसिक स्थिति
मनोवैज्ञानिक पहलू


प्रिसेजिन मेडिसिन के काम को आगे बढ़ाना है। इसके लिए विभागों के साथ बैठक करते हुए आगे का काम किया जायेगा।
डॉ। एके त्रिपाठी, केजीएमयू