लखनऊ (ब्यूरो)।

केस-1
जापलिंग रोड हजरतगंज के रहने वाले कृपा शंकर ने अपने बेटे को आरटीई के तहत एडमिशन दिलाने के लिए आवेदन किया था। आरटीई के पहले चरण में उन्होंने आवेदन किया तो उनको मनचाहा स्कूल आवंटित नहीं हुआ। वह घर के पास स्थिति लखनऊ पब्लिक कोलिजिएट में अपने बेटे का एडमिशन चाहते थे। पर उनको जब यह स्कूल आवंटित नहीं हुआ तो उन्होंने एडमिशन कैंसिल कराकर दोबारा आवेदन कर दिया। पर दोबारा आवेदन करने पर ऑनलाइन प्रक्रिया में उनका आवेदन निरस्त हो गया।

केस-2

निशातगंज के रहने वाले राजेन्द्र कुमार अपने बच्चे को महानगर स्थित सीएमएस में एडमिशन करवाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आरटीई में ऑनलाइन आवेदन किया। पर उनको सीएमएस की जगह दूसरा स्कूल आवंटित हो गया, जिसके बाद उन्होंने इस एडमिशन को कैंसिल कराकर दोबारा आरटीई के तहत दूसरे वार्ड से आवेदन कर दिया। जांच में उनका भी आवेदन निरस्त कर दिया गया।

ये कुछ उदाहरण हैं कि कैसे आरटीई में अपने बच्चों को मनपसंद स्कूल में एडमिशन न मिलने पर पैरेंट्स उनके भविष्य के साथ खेल रहे हैं। राजधानी में ऐसे पैरेंट्स की संख्या एक-दो नहीं बल्कि हजारों में है। ऐसे कई पैरेंट्स हैं जिन्होंने पहले और दूसरे चरण की लॉटरी में मनपसंद स्कूल न मिलने पर आवेदन कैंसिल कराकर दूसरे वार्ड से दोबारा आवेदन कर दिया। जांच के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने एक बार लॉटरी में नाम निकलने के बाद दोबारा से नाम आने पर ऐसे आवेदनों को कैंसिल कर दिया है।

वार्ड बदलकर कर रहे आवेदन
आरटीई के तहत फ्री सीटों पर एडमिशन के लिए पैरेंट्स जमकर खेल कर रहे हैं। गरीब व दुर्बल वर्ग के पैरेंट्स के बच्चों के एडमिशन जिस वार्ड में उनका निवास है, उसी वार्ड में स्थित स्कूलों में लॉटरी के जरिए कराया जाता है। लॉटरी में नाम आने के बाद आधे से ज्यादा पैरेंट्स तो आवंटित स्कूलों में एडमिशन लेते हैं, पर आधे ऐसे हैं जो एडमिशन कैंसिल करा देते हैं। ये पैरेेंट्स शहर के टॉप स्कूलों में एडमिशन लेने के लिए पहली लॉटरी कैंसिल कराकर आधार में एडमिशन संशोधित कराकर दूसरे वार्ड से एडमिशन के लिए आवेदन कर खेल करते हैं। दोबारा ऑनलाइन आवेदन के समय अपना वार्ड बदल कर दूसरे स्कूल में आवेदन कर देते हैं।

वेरीफिकेशन में होते हैं रिजेक्ट
लॉटरी में स्कूल एलॉट होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग आवेदनों का वेरीफिकेशन कराता है। वेरीफिकेशन के दौरान पैरेंट्स का खेल सामने आ जाता है। वार्ड बदलने के चलते उनके आवेदन का निरस्त कर दिया जाता है। ज्ञात हो कि सरकार की ओर से बच्चों की फीस मासिक 450 रुपए स्कूलों को प्रतिपूर्ति की जाती है। साथ ही अभिभावकों को 5 हजार रुपए यूनिफार्म और किताबों केदिए जाते हैं।

- पहली लॉटरी 14 हजार से अधिक आवेदन आए थे, इसमें 659 आवेदनों को निरस्त किया गया
- दूसरी लॉरटी में 7141 आवेदन आए थे, इसमें 412 रिजेक्ट किए गए
- तीसरी लॉटरी में 1685 आवेदनों में 585 आवेदन निरस्त किए गए

निरस्त हुए आवेदनों में अधिकतर दूसरे वार्ड से भरे गए थे या फिर उन बच्चों का पहले दाखिला हो चुका था। पर अच्छे स्कूल की चाहत में उन्होंने दोबारा वार्ड बदल कर आवेदन किया, जिसको निरस्त किया गया है।
-विजय प्रताप सिंह, बीएसए

आरटीई एडमिशन में लखनऊ अव्वल
आरटीई के तहत बच्चों का चयन और प्रवेश कराने के मामले में पूरे प्रदेश में लखनऊ पहले नंबर पर है। इसके बाद भी यहां चयनित स्टूडेंट्स और एडमिशन की संख्या में 50 फीसद का अंतर है। लखनऊ में 16496 बच्चों का चयन निजी स्कूल में आरटीई के तहत कराने के लिए किया गया है लेकिन विभाग 7538 बच्चों को ही प्रवेश दिला सका है। हालांकि, लखनऊ प्रवेश कराने के मामले में आगरा, वाराणसी, गाजियाबाद जैसे जिलों से काफी आगे है। आरटीई में प्रवेश कराने के मामले में आगरा 5,185 बच्चों के प्रवेश कराकर दूसरे स्थान पर है।

प्रवेश कराने वाले टॉप 10 जिले
जिला चयन प्रवेश
लखनऊ 16496 7538
आगरा 5355 5185
वाराणसी 7321 4908
जीबी नगर 5049 4156
मिर्जापुर 3147 2756
अलीगढ़ 4091 2659
फिरोजाबाद 2603 2603
मुरादाबाद 4096 1854
सहारनपुर 1636 1636
गाजियाबाद 4415 1630