राजधानी में 9वीं से 12वीं तक के स्कूल

कुल स्कूल- 1000

क्लास 12 तक के स्कूल- 700

क्लास 10 तक के स्कूल- 300

कुल स्टूडेंट्स- 4.5 लाख से अधिक

- राजधानी के पेरेंट्स बच्चों को फिलहाल स्कूल भेजने के लिए नहीं हैं तैयार

- बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनकी पढ़ाई का नुकसान भी उठाने को राजी

LUCKNOW: राजधानी में एक ओर जहां 21 सितंबर से स्कूल खोले जाने की तैयारियां चल रही हैं, वहीं अधिकतर पेरेंट्स कोरोना काल में बच्चों को स्कूल भेजने से इंकार कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो जाए लेकिन वे इन हालात में उन्हें स्कूल नहीं भेजेंगे। उनके लिए बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले है। जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं आती, वे यह रिस्क नहीं लेंगे। उनका यह भी कहना है कि यदि स्कूल खुलने के बाद ई-क्लास बंद हुई तो वे घर पर अपने स्तर से बच्चों को पढ़ाएंगे। हालांकि स्कूल खुलने के संबंध में स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक बयान अभी नहीं दिया गया है।

ऑनलाइन क्लास की बेहतर

कई पेरेंट्स का कहना है कि राजधानी में कोरोना का खतरा कम नहीं हुआ है, ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना खतरनाक है। स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई का अच्छा विकल्प तैयार कर लिया है। सीनियर क्लास के स्टूडेंट्स को इसमें कोई दिक्कत भी नहीं आ रही है। अगर उनको कोर्स से संबंधित कोई समस्या होती है तो वे टीचर्स से ऑनलाइन सवाल-जवाब भी कर सकते हैं। ऐसे में स्कूलों को फिलहाल ऑनलाइन क्लास ही चलानी चाहिए।

रुख नहीं किया साफ

कई स्कूलों की ओर से पेरेंट्स के पास बच्चों को स्कूल भेजने का जो सहमति पत्र भेजा गया था, उस पर अधिकतर पेरेंट्स ने रुख स्पष्ट नहीं किया है। पेरेंट्स का यह रुख देखकर स्कूल प्रबंधक भी कह रहे हैं कि वे जब सुरक्षित समझें, तभी बच्चों को स्कूल भेजें। स्कूल केंद्र और प्रदेश सरकार की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करने को प्रतिबद्ध हैं।

कहीं बच्चे न हो जाएं संक्रमित

पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल जाने से बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में सभी पहलुओं पर विचार करके ही स्कूल खोलने की कोशिश की जानी चाहिए। कोरोना के मामले में अब तक देखा गया है कि सुरक्षित वातावरण में रहने वाले, नियमों का पालन करने वाले, डॉक्टर तक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं है।

एसोसिएशन से जुड़े हजारों पेरेंट्स कोरोना वैक्सीन लगने के बाद ही बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में हैं। पेरेंट्स की बात सुननी चाहिए। रोज राजधानी में हजार के करीब संक्रमण के मामले आ रहे हैं, ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना ठीक नहीं होगा।

पीके श्रीवास्तव, प्रेसीडेंट, पेरेंट्स एसोसिएशन

इस समय बच्चों की सुरक्षा सबसे अहम है, उससे किसी भी सूरत में खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। जैसे बच्चे पांच माह घर में पढ़ें, उसी तरह हम आगे भी पढ़ाएंगे लेकिन उन्हें स्कूल नहीं भेजेंगे।

शगुफ्ता हुसैन

कोरोना के खत्म होने से पहले स्कूल खोलना नासमझी होगी। बच्चा चाहें किसी भी क्लास में हो, स्कूल जाएगा तो उसके संक्रमित होने का खतरा रहेगा। जब तक वैक्सीन न बने, स्कूल न खोले जाएं।

अमरीन हसन

केंद्र ने भले ही स्कूल खोलने की छूट दी है लेकिन हम बच्चों की जान खतरे में नहीं डाल सकते। कुछ और इंतजार करने में क्या हर्ज है। स्कूल बुलाने से अच्छा ऑनलाइन क्लास चलती रहे।

बृजेश पाठक

हम स्टेट गवर्नमेंट की गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं। जैसी गाइडलाइन आएगी वैसी ही कार्रवाई करेंगे। हम बच्चों पर स्कूल आने के लिए दबाव नहीं बना रहे हैं। पेरेंट्स से भी हमें यही फीडबैक मिल रहा है।

मनीष सिंह, मैनेजर एसकेडी एकेडमी

पेरेंट्स ने अभी बच्चों को स्कूल भेजने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। कोरोना के जो हालात हैं उसे देखकर वह तैयार नहीं हो रहे हैं। बाकि अब स्टेट गवर्नमेंट की गाइडलाइन का इंतजार है।

योगेद्र सचान, मैनेजर, क्रिएटिव कॉन्वेंट स्कूल

हम केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत स्कूल खोलने की तैयारी कर रहे हैं। हमने पेरेंट्स से इस संबंध में फीडबैक मांगा है पर ज्यादातर बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं है।

राकेश विश्वकर्मा, मैनेजर, न्यू वे प्रोग्रेसिव इंटर कॉलेज

80 फीसद पेरेंट्स नहीं तैयार

केंद्र सरकार ने 21 सितंबर से 9वीं से 12वीं तक के स्कूलों को गाइडलाइन के साथ खोलने की आदेश दिए हैं। स्कूलों ने इसके लिए पेरेंट्स से एक सहमति पत्र भरकर देने को कहा था। जिसमें उन्हें लिखना था कि वे बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हैं। इसके जवाब में करीब 80 फीसद पेरेंट्स ने बच्चों को स्कूल न भेजने की बात कही है। इन पेरेंट्स में करीब 90 फीसद कोरोना खत्म होने से पहले बच्चों को स्कूल न भेजने की बात कह रहे हैं।