लखनऊ (ब्यूरो)। पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने एक मरीज की दिल को ब्लड सप्लाई करने वाली धमनी के आठ साल से पूरी तरह बंद होने और उसे हार्ट अटैक आने के बावजूद उसकी जान बचाने का काम किया है। चूंकि मरीज की धमनी सौ फीसदी बंद हो चुकी थी, इसकी वजह से दिल को सही से खून नहीं पहुंच पा रहा था। ऐसे में, डॉक्टरों द्वारा एक जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। सर्जरी के बाद मरीज को डिस्चार्ज भी कर दिया गया।

दवाई देकर ही करते रहे इलाज

बस्ती निवासी 52 वर्षीय पुरुष को हार्ट अटैक पडऩे पर पहले परिजन पास के निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए। जहां जांच के दौरान दिल को खून पहुंचाने वाली मुख्य धमनी सौ फीसदी ब्लॉक होने का पता चला, जिसपर डॉक्टरों ने उन्हें एंजियोप्लास्टी कराने की सलाह दी। आर्थिक हालत ठीक न होने की वजह से परिजन यह करा न सके और दवा से ही इलाज करवाते रहे। इस दौरान जब फरवरी में मरीज को दोबारा हार्ट अटैक आया, तो अस्पताल ने मरीज को पीजीआई-लखनऊ रेफर कर दिया। जहां मरीज को कार्डियोलॉजी के एमआईसीयू में भर्ती कराया गया।

धमनी खोलकर डाला गया स्टेंट

कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ। सतेंद्र तिवारी ने बताया कि जब मरीज लाया गया तो उसकी हालत बेहद गंभीर थी। दिल को खून पहुंचाने वाली बाईं तरफ की धमनी पहले ही 100 फीसदी बंद थी। मरीज इंटीरियर वॉल मायोकार्डियल इन्फाक्र्शन की पुरानी बीमारी से ग्रसित था। वहीं, नियमित जांच के बाद, कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई और यह पता चला कि पूर्व से ही अवरुद्ध मुख्य बाईं धमनी, जो पिछले 8 वर्षों से अवरुद्ध थी और हृदय की खराब पंपिंग क्षमता के साथ दाहिनी कोरोनरी धमनी की गंभीर रुकावट थी, इसलिए एंजियोप्लास्टी कर दाहिनी तरफ की धमनी को खोलने का फैसला किया गया। इसके लिए गुब्बारे की मदद से नस खोली गई और उसमें स्टेंट डाला गया, जिससे मरीज को थोड़ी राहत मिली। फिर बाईं तरफ की धमनी खोलने की तैयारी की गई। इससे पहले आठ साल से बंद धमनी की स्थिति का पता लगाने के लिए जांच कराई गई। जांच में धमनी की सेहत ठीक मिली, जिसके बाद डॉ। रूपाली खन्ना ने इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड तकनीक के प्रयोग कर रुकावट के छोर को ढूंढा। फिर अतिरिक्त कड़े तारों की मदद से अवरुद्ध धमनी को खोला गया और स्टेंट डाला गया, जिसके बाद मरीज को काफी राहत मिली। सर्जरी के दो दिन बाद ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।