लखनऊ (ब्यूरो)। शादी में डीजे का तेज म्यूजिक, घंटों ईयरफोन लगाकर रखना या फिर मोबाइल फोन एक कान पर लगाकर देर तक बात करने की वजह से लोगों की कम उम्र में ही सुनने की क्षमता घट रही है। यह समस्या धीरे-धीरे 30-40 वर्ष की उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिल रही है। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई के ईएनटी विभाग में आने वाले मरीजों के एनालिसिस में सामने आई है। डॉक्टर्स के मुताबिक, लोगों को सुनने में दिक्कत हो रही है। वे शुरुआत में इसको नजरअंदाज कर देते है और बढऩे पर डॉक्टर को दिखाने पहुंचते हैं।

ओपीडी में बढ़ गये मरीज

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में दुनिया में करीब 1 बिलियन लोगों में सुनने की क्षमता खोने की प्रबल आशंका है। पीजीआई के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ। अमित केसरी के मुताबिक, लगातार बढ़ते साउंड पाल्यूशन की वजह से लोगों की सुनने की क्षमता कम उम्र में ही घटने लगी है। ओपीडी में रोज ऐसे 5-6 केस आ रहे हैं। कम उम्र में जिसमें 30-40 साल के लोग शामिल होते हैं, वे दिखाने आ रहे हैं। इसमें बच्चे भी शामिल हैं। हालांकि, इनकी संख्या काफी कम है। पहले जहां एक्सीडेंटल केस आते थे। वहीं अब शादी, रेस्टोरेंट या किसी पार्टी में तेज म्यूजिक सुनने की वजह से सुनने में दिक्कत की शिकायत हो रही है। इसके अलावा एक कान से लगातार फोन पर बात करना भी बड़ी वजह है।

बीमारियां भी बढ़ा रही समस्या

डॉ। अमित केसरी के मुताबिक, साउंड पाल्युशन के अलावा कई अन्य बीमारियां भी सुनने की क्षमता घटा रही हैं, जिसमें डायबिटिज, बीपी और किडनी संबंधी बीमारी आदि शामिल हैं। ये बीमारियां आपकी नर्व को नुकसान पहुंचाती हैं।

कोरोना के बाद मामले बढ़े

कोरोना के बाद स्कूल की पढ़ाई से लेकर ऑफिस का काम तक घरों से होने लगा है, जिसकी वजह से लोग घंटों फोन या ईयरफोन लगाकर सुनने या बात करने लगेे हैं। जिस कान पर ज्यादा जोर दिया जाता है, उससे सुनने में दिक्कत आने लगी है। 20-25 साल तक तो ठीक से सुनाई देता है, पर उसके बाद सुनने की क्षमता कम होने लगती है। हालांकि, इसका पता 60 साल के बाद ही होता है। ऐसे में शुरुआत में टेंपरेरी कम सुनाई देता है, लेकिन ज्यादा एक्सपोजर होने से सुनने की क्षमता खत्म हो जाती है।

जागरूकता की कमी

हमारे कान 70-80 डेसिबल तक ही सुनने की क्षमता रखते है। इसके ऊपर होने से कानों को नुकसान पहुंचता है। 90 डेसिबल से ऊपर हम 5 मिनट से अधिक नहीं सुन सकते। वहीं, 80 डेसिबल तक आधा घंटा और 70 डेसिबल तक पांच घंटा तक सुन सकते हैं। लोगों को सुनने की दिक्कतें होती हैं, पर जागरूकता की कमी के चलते वे इस ओर ध्यान नहीं देते। ऐसे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। साथ ही हेयरिंग स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाना चाहिए। खासतौर पर स्कूलों में करना चाहिए, ताकि समय रहते इस समस्या का पता लगाकर इसे दूर किया जा सके।

बचाव के तरीके

- कान के अंदर ईयरफोन लगाकर ज्यादा देर न सुनें

- साउंड 60-80 डेसिबल से ज्यादा न हो

- स्पीकर का यूज अधिक करें

- फोन पर बात के दौरान बारी-बारी दोनों कानों का यूज करें

- धीमी आवाज पर म्यूजिक सुनें

तेज म्यूजिक, ईयरफोन का लगातार इस्तेमाल जैसे कारणों के चलते कम उम्र में लोगों में सुनने की क्षमता खो रही है। लोगों में इस समस्या के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।

-डॉ। अमित केसरी, पीजीआई