- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पहले ही कर दिया था पीएफआई का खुलासा

- 100 पैम्फलेट, 26 तख्ती, 29 झंडे, आपत्तिजनक सीडी समेत भारी मात्रा में आपत्तिजनक कट्टरवादी साहित्य बरामद

- कई जिलों में हिंसा कराने में संगठन की संलिप्तता की बात कुबूली

LUCKNOW:

सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट के विरोध में राजधानी समेत कई जिलों में उपद्रव भड़काने में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ था। लखनऊ पुलिस ने राजधानी मे हुए उपद्रव की साजिश रचने वाले दो मास्टरमाइंड को अरेस्ट किया है। पुलिस ने उनके कब्जे से भारी मात्रा में आपत्तिजनक साहित्य व अन्य सामग्री बरामद की है। आरोपियों ने पूछताछ में राजधानी के अलावा 10 अन्य जिलों में उपद्रव भड़काने की साजिश में शामिल होने की बात कुबूल की है। उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पहले ही पीएफआई द्वारा प्रदेश में सीएए के विरोध के बहाने हिंसा फैलाने की तैयारी का खुलासा किया था।

सरगना ने कुबूली पूरी साजिश

एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक, सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र की टीम ने बीती 20 दिसंबर को इंदिरानगर एरिया से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद को अरेस्ट किया था। पूछताछ के दौरान वसीम ने कुबूल किया कि उसने पीएफआई व एसडीपीआई के एडहॉक कमेटी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर 19 दिसंबर को व्यापक प्रदर्शन और उपद्रव की योजना बनाई थी। वसीम ने बताया कि उसके साथ इस साजिश में पीएफआई का कोषाध्यक्ष कुर्सी, बाराबंकी निवासी नदीम और पीएफआई का डिवीजनल प्रेसीडेंट बाराबंकी के रामनगर का निवासी अशफाक शामिल थे। पुलिस ने वसीम के कब्जे से 100 पैम्फलेट, 26 तख्ती, 29 झंडे समेत भारी मात्रा में आपत्तिजनक साहित्य बरामद किया था।

वाट्सएप के जरिए लोगों को उकसाया

वसीम के कुबूलनामे के बाद पुलिस टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर आरोपियों नदीम और अशफाक को अरेस्ट कर लिया। टीम ने उनके कब्जे से भारी मात्रा में आपत्तिजनक नक्सलवादी व कट्टरवादी साहित्य, आपत्तिजनक वीडियो की सीडी, एनआरसी व सीएए के विरोध के बैनर बरामद किये। पूछताछ में आरोपियों नदीम और अशफाक ने बताया कि वे वाट्सएप के जरिए विभिन्न जिलों के संगठन के लोगों से जुड़े हुए थे। उन्होंने वाट्सएप के जरिए उन सभी को ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को प्रदर्शनों में ले जाने और उग्र प्रदर्शन के लिये उकसाया था। इसके साथ ही पीएफआई ने राजनीतिक संगठन एसडीपीआई के बैनर तले मुस्लिमों को शामिल होकर एनआरसी व सीएए का विरोध करने को कहा था।

11 जिलों में उपद्रव भड़काने में शामिल

एसएसपी नैथानी के मुताबिक, अब तक की जांच में लखनऊ के अलावा शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़ और सीतापुर में हिंसक उपद्रव आयोजित कराने में इन आरोपियों की भूमिका की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि आरोपियों के संगठन पीएफआई से जुड़े और शामली में उपद्रव भड़काने वाला मौलाना शादाब, डॉ। नावेद व 11 अन्य पीएफआई सदस्य अरेस्ट कर जेल भेजे जा चुके हैं।

पहले चेत जाती पुलिस तो बच सकती थी सरकारी संपत्ति

पीएफआई की आहट इससे पहले भी प्रदेश में कई बार सुनी व देखी गई। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले लखनऊ, वाराणसी, शामली, मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ में पीएफआई द्वारा आपत्तिजक पोस्टर चिपकवाकर लोगों को भड़काने की कोशिश की थी। हालांकि, वे अपनी करतूत में कामयाब नहीं हो सके थे और पुलिस उन पोस्टरों को फड़वाकर शांत बैठ गई थी। उस वक्त पुलिस पीएफआई के मंसूबों को भांप पाने में नाकाम रही, लिहाजा इस संदिग्ध संगठन ने सीएए के नाम पर लोगों को भड़काकर प्रदेश में करोड़ों की संपत्ति को आग के हवाले करवा दिया। अगर पहले ही पुलिस इस संगठन और इसके सदस्यों से अलर्ट हो जाती तो सरकारी संपत्ति का नुकसान होने से बचाया जा सकता था।