लखनऊ (ब्यूरो)। एसजीपीजीआई निदेशक प्रो। आरके धीमन द्वारा शुक्रवार को न्यू ओपीडी का औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान कई डॉक्टर मौके से गायब मिले, जिसपर निदेशक ने डॉक्टरों को फोन करके नाराजगी जताई। साथ ही, ओपीडी में समय पर पहुंचने और तय समय तक वहां रहने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने ओपीडी स्थित ब्लड सैंपल कलेक्शन सेंटर, वॉशरूम व अन्य सुविधाओं का जायजा भी लिया। वहां मौजूद मरीजों से बात करके समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की।

कई डॉक्टर मिले गायब

प्रो। आरके धीमन शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे ओपीडी विंग पहुंचे, जहां उन्होंने विभागवार ओपीडी का निरीक्षण किया और डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों के बारे में जानकारी ली। इसके अलावा ब्लड जांच, ब्लड प्रेशर व एक्स-रे समेत अल्ट्रासाउंड आदि सुविधाओं को भी देखा। निरीक्षण के दौरान रेजिडेंट व कर्मचारी तो मिले, लेकिन मौके से कई डॉक्टर गायब रहे, जिसपर निदेशक ने उनको फोन लगाकर ओपीडी में समय से पहुंचने के निर्देश दिये।

ओपीडी का निरीक्षण कर वहां मिल रही सुविधाओं को परखा। इस दौरान कुछ डॉक्टर नहीं मिले। जानकारी पर पता चला कि वे वार्ड में राउंड ले रहे हैं। सभी को समय पर ओपीडी में आने को कहा गया है।

- प्रो। आरके धीमन, निदेशक, एसजीपीजीआई

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संक्रामक व वायरस जनित बीमारियों का होगा एडवांस इलाज

संक्रामक और वायरस जनित रोगों से लड़ाई के लिए केजीएमयू नए सिरे से काम करेगा। इसके लिए यहां स्थापित इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिसीजेस को अपग्रेड किया जाएगा। जांच और इलाज के लिए यहां एडवांस उपकरण लगाये जायेंगे। इसके निर्माण के लिए बजट में करीब 23 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे वायरस जनित बीमारियों की पहचान व इलाज आसानी से हो सकेगी। अधिकारियों के मुताबिक, करीब 12.5 करोड़ रुपये से उपकरण खरीदे जाएंगे।

मानसिक रोगों से होगी लड़ाई

वहीं दूसरी ओर, मानसिक रोगों से लड़ाई के लिए भी केजीएमयू की अहम भूमिका होगी, क्योंकि कोरोना काल के दौरान लोगों में मानसिक दबाव सबसे ज्यादा देखने को मिला। इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत केजीएमयू में मानव संसाधन विकास केंद्र स्थापित किया जायेगा। इसके लिए बजट में 5.77 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। संस्थान परिसर में अलग से इसके लिए एक बिल्डिंग का निर्माण किया जायेगा। अधिकारियों के मुताबिक, मानव संसाधन विकास केंद्र केजीएमयू मानसिक स्वाथ्य विभाग के अधीन चलेगा। इसके तहत प्रदेश भर के डॉक्टर व कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने का काम किया जाएगा ताकि मानसिक रोगियों को बेहतर व समय पर इलाज मिल सके। इससे केजीएमयू जैसे बड़े संस्थानों में मानसिक रोगियों का दबाव भी कम होगा और मरीजों को बेहतर और समय पर इलाज मिल सकेगा।