लखनऊ (ब्यूरो)। पितृपक्ष इस वर्ष रविवार 11 सितंबर से आरंभ हो रहा है। उस दिन सुबह सूर्योदय से ही पितृपक्ष आरंभ हो जाएगा। वहीं पितृ विसर्जन 25 सितंबर को है। इस वर्ष पितृ पक्ष 15 दिन का है। यह जानकारी पं। राकेश ज्योतिषाचार्य ने दी।

श्राद्ध कार्य मध्याह्न में ही करें

पं। राकेश पांडेय के मुताबिक मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत यानि श्राद्ध कार्य मध्याह्न में ही करना चाहिए। बहुत लोग इस बात से भ्रमित रहते है कि मैंने इस वर्ष अपनी कन्या या पुत्र का विवाह आदि मांगलिक कार्य किया है। इसलिए इस वर्ष पितृ पक्ष का जल दान, अन्न दान व पिंड दान न करें यह अशुभ है। परंतु निर्णयसिंधुकार के कथनानुसार सभी मांगलिक कार्यों में पितृ कार्य उत्तम व आवश्यक माना गया है। तभी तो हम जनेऊ, विवाह आदि मांगलिक कृत्य करने से पूर्व नान्दीमुख श्राद्ध अवश्य करते हैं। जिसका तात्पर्य यह है कि हमारे यहां होने वाले शुभ कार्य मे किसी भी प्रकार का विघ्न न हो।

इस दौरान न करें मुंडन

सिर का मुंडन पितृ पक्ष के भीतर या तिथि पर नहीं करना चाहिए, क्योंकि धर्मसिंधु में यह बात कही गयी है कि पितृ पक्ष में सिर के बाल जो भी गिरते है वो पितरों के मुख में जाते हैं। ऐसे में सिर के बाल पितृ पक्ष आरंभ होने के 1 दिन पूर्व बनवाएं या भूल वश नहीं बनवा पाते हैं तो पितृ विसर्जन के दिन अपराह्न काल मे बनवाएं। ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते है। जिससे कुल की वृद्धि व यश, कीर्ति, लाभ, आरोग्यता व मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

इस वर्ष पितृपक्ष की तिथियां इस प्रकार है

प्रतिपदा श्राद्ध 11 सितंबर रविवार को

द्वितीया श्राद्ध- सोमवार

तृतीया- मंगलवार

चतुर्थी - बुधवार

पंचमी- गुरुवार

षष्ठी- शुक्रवार

सप्तमी- शनिवार

अष्टमी- रविवार

नवमी- सोमवार

दशमी- मंगलवार

एकादशी- बुधवार

द्वादशी- गुरुवार

त्रयोदशी- शुक्रवार

चतुर्दशी- शनिवार

अमावस्या रविवार को

नोट: जिनके पिता के मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध पितृविसर्जन को करें।

पितृपक्ष 11 सितंबर की सुबह सूर्योदय से ही आरंभ हो जाएगा। उसी दिन से पितृ तर्पण व पिंड दानादि कार्य आरंभ हो जाएगा। जबकि पितृविसर्जन 25 सितंबर को है।

-पं। राकेश पांडेय, ज्योतिषाचार्य