14 दिन बाद प्लाज्मा दे सकते हैं कोरोना से ठीक होने वाले

2 से तीन सप्ताह में दिखाई देता है प्लाज्मा थेरेपी का असर

- कोविड पेशेंट में ब्लड क्लॉटिंग और हार्ट अटैक का खतरा कम करती है प्लाज्मा थेरेपी

LUCKNOW:

कोरोना मरीजों को दी जाने वाली दवाएं एक तरह से प्लेसिबो का काम करती हैं। इन मरीजों को पैरासिटामॉल और स्टेरॉयड आदि दवाएं डॉक्टरों की निगरानी में दी जा रही हैं। वहीं कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का भी अहम रोल है। डॉक्टर्स का कहना है कि शुरुआती दिनों में प्लाज्मा थेरेपी देने से कोविड मरीजों में हार्ट अटैक या खून जमने की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है। मरीज में कोरोना के लक्षण दिखने के एक सप्ताह के अंदर प्लाज्मा थेरेपी दी जाए तो उसका अच्छा रिस्पांस आता है।

कोरोना के बाद मददगार

लोहिया संस्थान के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ। सौरभ चंद्रा ने बताया कि आजकल कोरोना मरीजों में ब्लीडिंग होना, हार्ट अटैक पड़ना समेत ब्लड क्लॉटिंग की समस्या काफी देखने को मिल रही है। ऐसे में प्लाच्मा थेरेपी देने से यह रिस्क काफी कम हो जाता है। प्लाच्मा के अंदर प्रोटिन और क्लाटिंग फैक्टर्स आदि होते हैं। जो ब्लड को मेनटेन रखते हैं और ब्लड को जमने नहीं देते हैं और अगर ब्लड जम जाता है तो उसे ठीक करने में भी मदद करते हैं। कोविड मरीज को जब प्लाज्मा दिया जाता है तो उसका असर उसके शरीर पर दो से तीन सप्ताह के बाद देखने को मिलता है।

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सौ से अधिक प्लाच्मा थेरेपी

डॉ। सौरभ चंद्रा ने बताया कि इस बार गंभीर मरीज अधिक हैं, जिससे प्लाज्मा थेरेपी की डिमांड बढ़ गई है। हम अब तक करीब 100 से अधिक लोगों को प्लाज्मा दे चुके हैं, जिसका मरीजों पर अच्छा रिस्पांस देखने को मिला है। हमारी लोगों से यही अपील है कि जिन लोगों को कोरोना से ठीक हुए 14 दिन से अधिक का समय हो चुका है, वे आकर अपना प्लाज्मा डोनेट करें। पूरी जांच के बाद प्लाज्मा लिया जाता है और इसमें संक्रमण का भी कोई खतरा नहीं होता है।

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कोविड पेशेंट को प्लाज्मा थेरेपी देने से उसमें ब्लीडिंग, हार्ट अटैक और ब्लड क्लॉटिंग की समस्या काफी कम हो जाती है। इसके काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं।

डॉ। सौरभ चंद्रा, एचओडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग, लोहिया संस्थान