- अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे के निजी सचिव ने बापू भवन में खुद को मार ली थी गोली

- लोहिया संस्थान में चल रहा था इलाज, परिवारजन की ओर से तहरीर मिलने पर लखनऊ पुलिस दर्ज करेगी एफआइआर

- उन्नाव पुलिस ने समय से की होती कार्रवाई तो ¨जदा होते निजी सचिव, महज दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर अधिकारियों ने झाड़ लिया पल्ला

रुष्टयहृह्रङ्ख: उन्नाव पुलिस की प्रताड़ना और लचर कार्यशैली ने अपर मुख्य सचिव नगर विकास डा। रजनीश दुबे के निजी सचिव विशंभर दयाल की जान ले ली। पुलिस की संवेदनहीनता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सचिवालय में काम करने वाले विशंभर दयाल को भी पुलिसकर्मियों ने नहीं छोड़ा। सचिवालय जहां सूबे के विकास की दिशा तय होती है और वहां काम करने वाले निजी सचिव को पुलिसकर्मियों के नकारापन के कारण चार दिन पहले आत्मघाती कदम उठाना पड़ा। चार दिन से विशंभर दयाल ¨जदगी की जंग लड़ रहे थे। लोहिया अस्पताल में शुक्रवार को उनकी मौत हो गई।

दो पुलिसकर्मियों को किया गया था निलंबित

पुलिसकर्मियों की प्रताड़ना झेलते झेलते विशंभर दयाल इस कदर टूट गए थे कि सोमवार को उन्होंने खुद को गोली मार ली थी। वहीं, अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर उन्नाव के दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर जांच पूरी कर ली। हालांकि, इस पूरे मामले के पर्यवेक्षण में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उधर, इस मामले में निजी सचिव के घरवालों ने लखनऊ पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी है।

पुलिस के पास है सुसाइड नोट

पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर के मुताबिक विशंभर दयाल ने सुसाइड नोट लिखा था, जो पुलिस के पास है। परिवारजन की तहरीर के आधार पर एफआइआर दर्ज कर विवेचना की जाएगी। शुक्रवार शाम पोस्टमार्टम के बाद शव घरवालों को सौंप दिया गया। शासन ने इस मामले की जांच आइजी रेंज लखनऊ लक्ष्मी सिंह को सौंपी थी। उन्होंने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। आइजी की जांच में दो पुलिसकर्मियों की लापरवाही उजागर हुई थी, जिसके बाद उन्नाव में तैनात औरास थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर हर प्रसाद अहिरवार व दारोगा नमीजुद्दीन को निलंबित कर दिया गया था। विशंभर दयाल की मौत के बाद पुलिस उन्नाव में उनकी बहन के खिलाफ दर्ज मुकदमे की विवेचना अब नए सिरे से करने की तैयारी कर रही है। पुलिस ने समय रहते पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच की होती तो शायद निजी सचिव की जान नहीं जाती। लेकिन, लीपापोती करने में माहिर पुलिस ने ऐसा नहीं किया और विशंभर दयाल ¨जदगी की जंग हार गए। अब सवाल ये है कि जिन पुलिसकर्मियों की वजह से निजी सचिव की जान गई है, उनके खिलाफ अधिकारी क्या कार्रवाई करेंगे? क्या सिर्फ निलंबन की कार्रवाई से महकमे के लापरवाह पुलिसकर्मी सबक लेंगे या फिर उच्चाधिकारी सख्त कार्रवाई कर नजीर पेश करेंगे?

लगातार परेशान कर रहे थे पुलिसकर्मी

विशंभर दयाल ने 30 अगस्त को सुसाइड नोट लिखकर खुद को गोली मार ली थी। गंभीर अवस्था में उन्हें लोहिया संस्थान में भर्ती कराया गया था। विशंभर ने खुद को गोली मारने का वीडियो भी बनाया था, जो लखनऊ पुलिस के पास है। सुसाइड नोट में उन्होंने बहन के ससुरालीजन और औरास पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। विशंभर को औरास पुलिस लगातार परेशान कर रही थी। विशंभर, उनकी बहन रामदेवी व भांजी पर दर्ज एक मुकदमे से तीनों का नाम बाहर भी हो गया था। हालांकि, रामदेवी का उनके पड़ोसियों से हुए विवाद के बाद पुलिसकर्मी एक बार फिर विशंभर को प्रताडि़त करने लगे थे। विशंभर दयाल की बहन रामदेवी का विवाह औरास के बहादुरपुर में हुआ है। निजी सचिव की बहन का संपत्ति बंटवारे को लेकर ससुराल वालों से विवाद चल रहा है।