लखनऊ (ब्यूरो)। शहर की आबोहवा में इस साल प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। विश्व पर्यावरण दिवस से पूर्व सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) ने रविवार को शहर की परिवेशीय वायु गुणवत्ता आंकलन रिपोर्ट प्री मॉनसून 2023 रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 की तुलना में 2023 में मॉनसून से पहले ही वायु प्रदूषण में कमी देखी गई है। जहां पार्टिकुलेट मैटर पीएम 10 व पीएम 2.5 में भी गिरावट देखने को मिली है, वहीं गैसीय प्रदूषकों में भी कमी आई है। हालांकि, प्रदूषण में गिरावट के बाद भी इसका स्तर एनएएक्यूएस सीमा से अधिक है। संस्थान के निदेशक भास्कर नारायण ने बताया कि साल 2022 की तुलना में इस साल पीएम 10 की औसत सांद्रता में 17.6 फीसदी की कमी आई है। वहीं पीएम 2.5 की औसत सांद्रता 21.8 फीसदी कम हुई है। गैसीय प्रदूषक जैसे एसओटू व एनओटू की औसत सांद्रता में भी कमी हुई है। साल 2022 में पीएम 2.5 के स्तर में 43.9 फीसदी की बढ़त हुई थी। पीएम 2.5 का स्तर बीते साल 92.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुआ था, इस साल यह औसत स्तर 72.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुआ है। इसी तरह पीएम 10 का औसत स्तर 157.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो इस साल 130.1 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज हुआ। गैसीय प्रदूषकों की बात करें तो सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की औसत सांद्रता 13.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की औसत सांद्रता 31.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुआ।

मानकों से बढ़ा है प्रदूषण

आईआईटीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय मानकों की तुलना में पीएम 10 में 30 फीसदी व पीएम 2.5 की मात्रा में 21 फीसदी की बढ़त हुई है, जबकि बीते साल की प्री मॉनसून रिपोर्ट की तुलना में इस साल आवासीय, कॉमर्शियल व इंडस्ट्रियल इलाकों में 2022 की तुलना में कमी आई है। पीएम 10 का स्तर 2022 की तुलना में 11.8 फीसदी, 20.3 फीसदी और 18.1 फीसदी और पीएम 2.5 का स्तर 12.6 फीसदी, 27.8 फीसदी और 17.4 फीसदी कम हुआ है। गैसीय प्रदूषण में एसओटू का स्तर 6.5 फीसदी घटा और एनओटू का स्तर 11.5 फीसदी घटा है।

छिटपुट बारिश ने कम किया प्रदूषण

वैज्ञानिकों का कहना है कि शहर में रुक रुक कर हुई बारिश व छिटपुट हुई बारिश ने जमीनी स्तर की धूल में कमी और वातावरण में निलंबित कणों को हटाने में अहम योगदान दिया है। बरसात के दौरान शहरी गतिविधियों जैसे वाहनों की आवाजाही और शहर में निर्माण गतिविधियों में कमी आने से वायु प्रदूषण का स्तर को प्रभावित करता है।

शहर के नौ स्थानों पर होता है सर्वेक्षण

आईआईटीआर शहर के नौ इलाकों में वायु गुणवत्ता का सर्वेक्षण करता है। यह काम संस्थान 1997 से कर रहा है। इसमें चार रिहायशी इलाके व चार कॉमर्शियल इलाके और 1 इंडस्ट्रियल एरिया शामिल है।

अलीगंज की आबोहवा सबसे प्रदूषित

प्री मॉनसून रिपोर्ट के मुताबिक शहर में अलीगंज इलाके में सबसे अधिक प्रदूषण है। यहां हवा में पीएम 10 की औसत सांद्रता 122.2 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही। वहीं पीएम 2.5 की औसत सांद्रता 65.9 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही। बीते साल रिहायशी इलाकों में सबसे प्रदूषित इंदिरानगर इलाका था।कॉमर्शियल इलाकों में चौक सबसे प्रदूषित रहा। यहां पीएम 10 की औसत सांद्रता 278.7 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर व पीएम 2.5 की औसत सांद्रता 108.5 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा। बीते साल चारबाग सबसे प्रदूषित था।

गैसीय प्रदूषण मानक से कम

शहर में जहां कणीय प्रदूषक मानक से अधिक हैं। वहीं गैसीय प्रदूषण मानक से कम हैं। सल्फरडाई ऑक्साइड की मात्रा इंदिरानगर इलाके में सबसे अधिक रही। लेकिन इसकी औसत मात्रा 12.4 और अमीनाबाद में 16.3 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इसका मानक 20 और एनएएक्युएस के मुताबिक एसओटू का मानक 80 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है। इसी तरह नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की स्तर सबसे अधिक अलीगंज इलाके में रही। एनओटू का स्तर 31.9 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज हुआ। वहीं कॉमर्शियल इलाके में चारबाग में एनओटू का पॉल्यूशन सबसे अधिक रहा। यहां एनओटू का स्तर 39.7 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा। इसका मानक डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।

इन सुझावों से कम कर सकते हैं प्रदूषण

प्रदूषण को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए हैं

-बीएस 6 अनुपालित व इलेक्ट्रिक, बायोडीजल, सीएनजी, हाइब्रिड आधारित वाहनों की अनुमति मिलनी चाहिए।

-शहर की सड़कों पर झाड़ू लगाने और सड़कों पर लगातार पानी छिड़कने से सड़कों की मिट्टी के निलंबन को कम कर सकते हैं। सड़कों को बार बार खोदने व काटने से बचें।

-यातायात संकेतों को सिंक्रनाइज करे।

-कारपूलिंग व सार्वजनिक वाहनों की तादाद बढ़ें।

-शहर की सड़कों से दस साल पुराने वाहनों को हटा देना चाहिए।

-सड़क किनारे वृक्षारोपण किया जाए।

-इलेक्ट्रिॉनिक वाहनों के लिए ज्यादा चार्जिंग स्टेशनों की व्यवस्था होनी चाहिए।

-कचरे के साथ कंक्रीट ले जाने वाले ट्रकों को ठीक से ढका जाए।

गोमतीनगर में सबसे अधिक शोरगुल

सीएसआईआर-आईआईटीआर की प्री मॉनसून रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में सबसे अधिक शोरगुल गोमतीनगर में है। वहीं, कॉमर्शियल इलाकों में आलमबाग में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण दर्ज हुआ। साल 2022 आईआईटीआर की प्री मॉनसून रिपोर्ट में इंदिरानगर सबसे शोरगुल वाला इलाका दर्ज हुआ था। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि बीते साल की तुलना में इस साल ध्वनि प्रदूषण भी कम हुआ है। आईआईटीआर रिपोर्ट के मुताबिक, गोमतीनगर में दिन में ध्वनि प्रदूषण का औसत स्तर 75.7 डेसिबल दर्ज हुआ। वहीं, रात में रिहायशी इलाके में सबसे अधिक शोर गोमतीनगर में ही दर्ज हुआ। यहां ध्वनि प्रदूषण का औसत स्तर रात में भी 67.6 डेसिबल रहा। कॉमर्शियल इलाकों में आलमबाग में सबसे अधिक शोरगुल रहा। यहां ध्वनि प्रदूषण का औसत स्तर 80.6 डेसिबल रहा। रात के समय चारबाग में 78.9 डेसिबल रहा। रिहायशी इलाकों में दिन के समय व कॉमर्शियल इलाकों में रात के समय अधिक ध्वनि प्रदूषण रहा। ध्वनि प्रदूषण का स्तर अपने तय मानकों से अधिक था।