- लॉकडाउन ने बर्तन बाजार को दिया करारा झटका

LUCKNOW: ट्रेनों और बसों का संचालन शुरू होने के साथ ही राजधानी के बर्तन बाजार को भी लॉकडाउन से हुए नुकसान से धीरे-धीरे उबरने की आस बंध रही है। हालांकि बर्तन व्यापारियों का कहना है कि बाजार की असली चमक तो दिवाली के आसपास ही वापस लौटेगी लेकिन इस माह होने वाली शादियों से भी उन्हें काफी उम्मीद है।

सेल के दो माह बेकार

बर्तन व्यापारियों के अनुसार वैसे तो बर्तन हमेशा बिकते हैं लेकिन सर्वाधिक सेल शादियों और दिवाली के दौरान ही होती है। इस बार मार्च और अप्रैल में लॉकडाउन के कारण सहालग का एक सीजन बेकार हो गया।

200 करोड़ का नुकसान

बर्तन व्यापारियों के अनुसार लॉकडाउन के चलते इस बाजार को करीब 200 करोड़ का नुकसान हुआ है।

800 से अधिक दुकानें

राजधानी में बर्तनों की 800 से अधिक दुकानें हैं। इसमें 222 होल सेल की दुकानें यहियागंज में हैं।

5000 लोग कारोबार से जुड़े

लखनऊ में बर्तन बाजार से करीब पांच हजार लोग जुड़े हैं। इसमें व्यापारी, कारीगर, कर्मचारी भी शामिल हैं।

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कहां से आते हैं बर्तन

शामली, हापुड़, मुरादाबाद, हाथरस, जनेश्वर, मथुरा, दिल्ली, मुंबई, मद्रास, अहमदाबाद, जोधपुर से यहां बर्तन आते हैं। शामली से एल्युमिनियम, तांबे, मुरादाबाद से पीतल और स्टील, हाथरस से पीतल, मथुरा से तांबे और पूजा में यूज होने वाले बर्तन, जनेश्वर से घंटी-घंटा और इस तरह के आइटम, अलीगढ़ से पीतल की मूर्तियां, हापुड़ से स्टेनलेस स्टील, मेरठ और दिल्ली से फाइबर के बर्तन आते हैं।

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कहां भेजे जाते हैं बर्तन

राजधानी से लखीमपुर, सीतापुर, बहराइच, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, बाराबंकी, हरदोई, संडीला, मलिहाबाद, वाराणसी और कानपुर बर्तन भेजे जाते हैं। कुछ बर्तन मध्य प्रदेश के सतना तक भेजे जाते हैं।

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सरकार से उम्मीदें

- कम ब्याज पर 12 लाख तक के लोन की मिले सुविधा

- जीएसटी में भी छूट दी जाए

- बिजली का फिक्स चार्ज ना लिया जाए

कोट

जून की सहालग में सेल होने की उम्मीद है। ईद के बाद मुस्लिम समुदाय में भी शादियां होती हैं, वहां भी बर्तनों की डिमांड होगी। इस नुकसान को तो पूरा नहीं किया जा सकता है लेकिन दिवाली तक बाजार फिर गुलजार हो जाएगा।

हरिशचंद्र अग्रवाल, अध्यक्ष

लखनऊ मेटल मर्चेट एसोसिएशन

बाजार खुलने से बर्तनों की सेल शुरू हो गई है और लोगों ने अपनी जरूरतों के बर्तन खरीदना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी लोग बाजार आने में डर रहे हैं। धीरे-धीरे लोग बाजार आएंगे और कारोबार बेहतर होता जाएगा।

अंकित अग्रवाल

अभी लोग सिर्फ जरूरत के आइटम खरीद रहे हैं। बर्तन बाजार की रौनक दिवाली के आसपास ही लौटेगी। काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई जल्द नहीं हो सकती। वैसे भी बर्तन बाजार बारिश के सीजन में ठप हो जाता है।

माइकल बंसल