आंखों में आंसू भर बच्चे बोले, अकेले मम्मी कैसे करेंगी सब कुछ

- नाना की पेंशन से कब तक चलेगी उनकी पढ़ाई

LUCKNOW: कोरोना महामारी ने बड़ी संख्या में बच्चों के सिर से उसके माता-पिता या इनमें से एक का साया हमेशा के लिए छीन लिया। ऐसे बच्चों की दुनिया एक पल में उजड़ गई। राजधानी में ऐसे बच्चों की संख्या करीब 250 तो प्रदेश में चार हजार से अधिक है। इन बच्चों की मदद के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की गई है जिसमें बच्चों को प्रति माह चार हजार रुपए दिए जाएंगे। सरकार की यह पहल तो सराहनीय है लेकिन शहरी एरिया के अधिकतर बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं, जहां की फीस अधिक होती है। ऐसे में यह रकम उनके लिए कम है। इन बच्चों को चिंता है कि अब उनकी आगे की पढ़ाई कैसे होगी। कुछ ऐसी ही चिंता में हैं अलीगंज निवासी दो सगे भाई, जिनके पिता का कोरोना से अप्रैल में देहांत हुआ है

उजड़ गई दुनिया

अलीगंज निवासी अनुज और अमित (बदला नाम) एक प्राइवेट स्कूल में क्लास तीन और छह में पढ़ते हैं। उनके पिता कंप्यूटर व्यवसाय से जुड़े थे और सामाजिक कार्यो में भी आगे बढ़कर हिस्सा लेते थे। पूरा परिवार हंसते-खेलते दिन बिताता था। कोरोना की पहली लहर के दौरान इनके पिता लोगों की मदद करते रहे और जब दूसरी लहर शुरू हुई तो भी वे इस काम में पीछे नहीं हटे। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में उन्हें बुखार आया और जब उन्होंने जांच कराई तो पता चला कि वे कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए हैं। अब उन्हें लोगों से मदद की जरूरत थी, लेकिन इस मुश्किल वक्त में कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। उस समय शहर के हालात बेहद खराब थे। लोगों को न ऑक्सीजन मिल रही थी और न अस्पताल में बेड। ऐसे में इन बच्चों के पिता की भी मौत हो गई।

अब मामा-नाना का सहारा

पिता के देहांत के बाद दोनों बच्चे अपनी मां के साथ नाना के घर चले गए। इनके नाना कृषि विभाग में अधिकारी थे और अब पेंशन पाते हैं। उन्होंने इन बच्चों की पढ़ाई का बीड़ा उठाया है। दोनों बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी मां ने स्कूल के प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने बच्चों की 30 फीसद फीस माफ कर दी, लेकिन मां का कहना है कि स्कूल की फीस अधिक होने के कारण उनके लिए बाकी फीस देना भी मुश्किल है। बच्चों का कहना है कि प्रिंसिपल 50 फीसद फीस कम कर देते तो उन्हें काफी राहत मिलती। नाना की पेंशन से उनकी पढ़ाई कब तक चलेगी।

बाक्स

जिद करना भूल गए बच्चे

पिता का साया सिर से उठने के बाद इन बच्चों ने अपनी मां से किसी भी चीज की जिद करना बंद कर दिया है। वे हमेशा मां से यही कहते रहते हैं कि मां तुम बस खुश रहो। सब ठीक हो जाएगा।

बाक्स

सरकार ने दी मदद

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत दोनों बच्चों के लिए उनकी मां ने आवेदन किया था और लोक भवन में हुए कार्यक्रम में वे शामिल भी हुई थीं। वहां बच्चों को एक लाल बैग दिया गया, जिसमें कुछ कॉपियां, बिस्किट, नमकीन और पानी की बोतल थी। वहां हाईस्कूल में पढ़ने वाले तीन स्टूडेंट्स को टेबलेट भी दिया गया। अब सभी बच्चों के खाते में चार हजार रुपए मासिक की किश्त के रूप में एक साथ तीन माह का पैसा आएगा।

बाक्स

बस हमारी पढ़ाई चलती रहे

बच्चे जिस स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं, उसे बदलना नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि सरकार कुछ ऐसा करे कि उनका स्कूल भी वही रहे और उनकी पढ़ाई भी पहले की तरह चलती रहे। बच्चों की इस मदद के लिए सभी को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए आगे आना चाहिए। हमें उनके सपनों को पंख देने होंगे, ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा में जुड़कर आगे चलकर देश के विकास में अपना योगदान दें।

बाक्स

हमें दें सूचना

अगर आपके आसपास भी ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता या पिता अथवा दोनों की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई है, तो हमें सूचित करें। हमारा वाट्सएप नंबर 9818308016 है।