लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी की ध्वस्त हो चुकी ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए प्राइवेट गार्ड भी अब मैदान में आ गए हैं। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने एक एनजीओ से एमओयू साइन कर सौ प्राइवेट गार्डों को चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए उतारा हैै। ये गार्ड एक साल के कांट्रेक्ट पर 20 चौराहों पर अपनी सेवाएं देंगे। गार्डों को वेतन का भुगतान एनजीओ की ओर से किया जाएगा।

20 चौराहे पर तैनात 100 गार्ड

शहर के प्रमुख 20 चौराहों पर 5-5 गार्डों को तैनात किया गया है। इन्हें उन चौराहों पर तैनात किया गया है, जहां ट्रैफिक लोड अधिक रहता है। चौराहों पर ये गार्ड ट्रैफिक पुलिस की मदद करेंगे। इन महिला और पुरुष गार्डों की ड्यूटी चौराहों के किनारों की ओर लगाई गई है और उनका ड्यूटी टाइम सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक है।

तीन दिन की ट्रेनिंग

इन गार्डों की निगरानी के लिए दो सुपरवाइजर भी रखे गए हैं। हर सुपरवाइजर के पास 10 चौराहों की जिम्मेदारी है। ये ही गार्डों की चौराहों पर ड्यूटी लगाते हैं। इन गार्डों को एक दिन ट्रैफिक पुलिस लाइन और दो दिन आईजीपी में ट्रेनिंग दी गई है।

पैसा भी बचेगा

सरकारी मशीनरी के पास पीआरडी व होमगार्ड की पर्याप्त संख्या है लेकिन उसके बाद भी प्राइवेट गार्ड को ट्रैफिक ड्यटी में तैनात करने के पीछे सरकारी खजाना की बचत के रूप में देखा जा रहा है। प्राइवेट गार्ड को प्रतिमाह दस हजार सात सौ रुपये का भुगतान एनजीओ की ओर से किया जाना है। जबकि पीआरडी व होमगार्ड का एक दिन का भुगतान पांच सौ रुपये से ज्यादा है। इसके चलते बड़ी सरकारी रकम की न केवल बचत हो रही बल्कि बिना खर्च के ट्रैफिक कंट्रोलर के रुप में सौ गार्ड की पुलिस को सौगात मिल गई है।