अर्हता पूरी न होने के बावजूद पीएचडी अवॉर्ड प्रदान कराने की तैयारी

सारे साक्ष्य छुपा कर टॉपिक पास कराने की तैयारी

फैकेल्टी बोर्ड ने नहीं पास किया टॉपिक

गवर्नर के पास मामला ले जाने की तैयारी

हिंदी विभाग में पीएचडी को लेकर नहीं थम रहा बवाल

LUCKNOW : लखनऊ यूनिवर्सिटी के पीएचडी एडमिशन में हुए धांधली की परतें खुलने लगी हैं। खासतौर पर हिंदी विभाग में पीएचडी में एडमिशन और पीएचडी अवॉर्ड प्रदान करने के लिए सभी मानकों को किनारे रखकर अयोग्य कैंडीडेट को एडमिशन व उपाधि प्रदान करने का खेल चल रहा है।

टॉपिक पास करने का प्रस्ताव रखा

इसके लिए हिंदी विभाग के एचओडी की ओर से बुधवार को फैकेल्टी ऑफ बोर्ड की बैठक में अर्हता पूरी न करने वाले एक शिक्षक के टॉपिक को पास करने का प्रस्ताव रखा था। ताकि टॉपिक पास हो जाने के बाद विभाग के इस टीचर को पीएचडी की उपाधि प्रदान कर दी जाए। पर फैकेल्टी बोर्ड ने टॉपिक पास करने पर रोक लगा दी। उधर हिंदी विभाग के एचओडी टॉपिक पास होने का दावा कर रहे हैं। जबकि दूसरे ओर कहना है कि अगर ऐसा किया जाता है तो यह मामला गवर्नर के सामने रखा जाएगा। इससे पहले इसी विभाग ने पिछले साल के टॉपर स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल और जेआरएफ होने के बाद भी पीएचडी में एडमिशन नहीं दिया था।

प्रो। एएस कुमार को उपाधि देने पर अड़े एचओडी

प्रो। एएस कुमार को इस साल पीएचडी उपाधि प्रदान करने के लिए विभागाध्यक्ष की ओर से उनके अंडर में तमिल में पीएचडी कराने के लिए आवेदन मांगे थे। इसके लिए उन्हें इस साल पीएचडी अवॉर्ड प्रदान करने के लिए उनकी टॉपिक मंजूरी प्रदान करने के लिए फैकेल्टी बोर्ड में रखा था। यह वहीं प्रोफेसर हैं, जिनके टॉपिक को 2007 में बोर्ड ऑफ स्टडीज में खारिज कर दिया गया था। इसके बाद तत्कालिन वीसी प्रो। आरपी सिंह ने अपने विशेषाधिकार के तहत धारा 13 (6) में उनको पीएचडी करने की अनुमति दी थी।

बाद में नियमों में फेरबदल

दोबारा जब यह मामला बोर्ड ऑफ स्टडीज में पहुंचा तो तत्कालीन डीन व एचओडी ने दोबारा से रोक लगाते हुए वीसी को इस पर कोई निर्णय न लेने की मांग की थी। तब से यह मामला विचारधीन पड़ा था। इसके बाद भी विभाग के कुछ अधिकारियों ने मिलीभगत की प्रो.एएस कुमार की पीएचडी की फीस जमा करा दी। इस साल हिंदी विभाग के एचओडी के ओर से तमिल में पीएचडी के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू किया था। बाद में इसके लिए नियमों में फेरबदल भी किया। ताकि उनके अंडर में पीएचडी शुरू हो सके। इसके लिए उन्हें पीएचडी अवार्ड कराने के लिए पूरा खेल शुरू किया गया। जो फैकेल्टी बोर्ड की बैठक में दोबारा से उठने के बाद विवाद बढ़ गया।

पीएचडी की अर्हता नहीं पूरी

विभाग के सूत्रों का कहना है कि एएस कुमार हिंदी विषय में पीएचडी करने के जो अर्हता होनी चाहिए। वह पूरी नहीं करते हैं। उन्होंने पीजी में हिंदी को विषय नहीं लिया था। ऐसे में वह इस विषय में पीएचडी नहीं कर सकते हैं। बोर्ड ऑफ स्टडीज के रोक के बाद किसी भी वीसी ने पिछले आठ साल में इस मामले पर अभी तक अपनी टिप्पणी नहीं दी है। इसके बाद भी इनको पीएचडी उपाधि देने की तैयारी की जा रही है।

प्रतिकुलपति करेंगे जांच

मानवशास्त्र विभाग के एचओडी की ओर से धोखे से पीएचडी की निर्धारित सीटों की सख्या को बढ़ाकर अधिक सीटों पर एडमिशन लेने के मामले को वीसी ने गंभीरता से लिया है। एचओडी ने पीएचडी की तीन सीटों पर एडमिशन के लिए जारी विज्ञापन के बाद भी इसे बढ़ाकर आठ सीटें कर दिया, उस पर एडमिशन ले लिया। मामले का खुलासा होने के बाद वीसी प्रो। एसबी निमसे ने प्रो। वाइस चांसलर प्रो। यूएन द्विवेदी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं।