32 नाले प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से गिरते गोमा में

20 नालों को बंद किए जाने का सरकारी दावा

6 नाले सीधे तौर पर गिरते गोमा में

6 नाले ओवरफ्लो होने पर गिरते

- शहर के कई प्वाइंट्स में नालों का पानी सीधे गोमती में गिर रहा

- दो दर्जन से अधिक नाले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से गिर रहे गोमा में

LUCKNOW एक तरफ जहां जिम्मेदारों की ओर से दावा किया जाता है कि गोमती में गिरने वाले ज्यादातर नालों को बंद किया जा चुका है, वहीं एक हकीकत यह है कि वर्तमान समय में राजधानी के अंदर कई ऐसे प्वाइंट हैं, जहां पर जाकर खुद देखा जा सकता है कि नाले किस तरह से गोमती में गिर रहे हैं। इन नालों के पानी की वजह से ही गोमती में जहर घुल रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि जिम्मेदारों की ओर से इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

सीधे तौर पर गिरते नाले

गोमती में सीधे तौर पर नाले गिर रहे हैं। यह प्वाइंट शहर के बाहर नहीं, बल्कि ऐसी जगह पर है, जहां से गोमती मैली हो रही है। आम जनता को तो नालों की यह तस्वीर देखने को मिल जाती है लेकिन जिम्मेदारों को शायद यह नजर नहीं आता है। जिसके कारण नालों का पानी लगातार गोमती के शुद्ध जल को मैला कर रहा है। नालों से आने वाली गंदगी सीधे तौर पर गोमती में जा रही है। जिसकी वजह से गोमती के पानी का रंग धीरे-धीरे काला हो रहा है।

दो दर्जन नाले गिरते गोमती में

गोमती सफाई से जुड़ी समितियों के पदाधिकारियों की माने तो वर्तमान समय में दो दर्जन से अधिक नाले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गोमती में गिर रहे हैं। अभी तो स्थिति तब भी ठीक है लेकिन जैसे ही बारिश शुरू होगी, सभी नाले ओवरफ्लो होकर सीधे तौर पर गोमती में गिरने लगेंगे। जिसके बाद खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि गोमती में गंदगी का लेवल किस हद तक खतरनाक हो जाएगा।

ये नाले गिरते गोमा में

जानकारी के अनुसार, सरकटा नाला, पाटा नाला, नगरिया, गऊघाट और कुकरैल नाला किसी न किसी रूप में सीधे गोमती में गिरता है। यह भी सच है कि नालों को बंद करने की कवायद तो हुई लेकिन कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है।

जालियों की जांच

नालों को बंद करने के लिए उनके मुहाने पर जालियां लगाई गई थीं। गोमा को नालों के ग्रहण से मुक्त कराना है तो सबसे पहले नालों के मुहाने पर लगाई गई जालियों की पड़ताल करनी होगी। जिससे काफी हद तक समस्या समाप्त हो सकती है।

तस्वीर एक

स्थान-डालीगंज ओवरब्रिज के बगल में

स्थिति-नाले के पानी के बीच जमा सैकड़ों टन मलबा

तस्वीर दो

स्थान-गांधी भवन-परिवहन विभाग के बीच

स्थिति-गोमा में तेजी से मिलता हुआ नाले का पानी

तस्वीर तीन

स्थान-गोमती पुल

स्थिति-विषैला सफेद झाग गोमती में नजर आ रहा

तस्वीर चार

स्थान-नदवा के पास

स्थिति-गोमा में नजर आ रहा जलकुंभी का ढेर

एसटीपी की बढ़े क्षमता तो बने बात

वर्तमान समय में शहर में दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट वर्क कर रहे हैं। एक भरवारा और एक पुराने लखनऊ के दौलतगंज में है। जानकारी के अनुसार, पूरे शहर में 700 एमएलडी से अधिक सीवेज रोज निकलता है, जिसमें से 450 एमएलडी सीवेज का ही निस्तारण हो रहा है। शेष सीवेज गोमती में जा रहा है।

एक नजर इधर भी

56 एमएलडी एसटीपी दौलतगंज में

39 एमएलडी का नया एसटीपी बनना था

64 एमएलडी एसटीपी भरवारा में प्रस्तावित

100 मीटर में वेस्ट नहीं

एनजीटी की स्पष्ट गाइडलाइंस है कि गोमती तट के 100 मी। के दायरे में किसी भी सूरत में वेस्ट न फेंका जाए। जो नाले नदी में गिर रहे हैं, उन्हें रोका जाए और उनके मुहाने पर जालियां लगाई जाएं।