लखनऊ (ब्यूरो)। स्मार्ट प्रीपेड मीटर के 25 हजार करोड़ रुपये के टेंडर के मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। उपभोक्ता परिषद की ओर से जो सच्चाई सामने लाई गई है, उससे साफ है कि निजी घरानों ने एक ही तारीख को टेंडर फाइल किया, जबकि एक माह से टेंडर की समयावधि चल रही थी। इस मामले के सामने आने के बाद उपभोक्ता परिषद की ओर से नियामक आयोग में लोक महत्व याचिका लगाई गई है साथ ही जांच कराए जाने संबंधी मांग की गई है।

17 अक्टूबर को डाला गया टेंडर

स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन के आधार पर बिना नियामक आयोग की अनुमति के सभी बिजली कंपनियों में 25 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत के 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के पार्ट-वन टेक्निकल बिड का टेंडर खुलते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव से मुलाकात कर एक लोक महत्व याचिका दाखिल की है, जिसके माध्यम से मुद्दा उठाया है कि इस परियोजना पर जो कुल खर्च होना है, उसको प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाएगा। वेबसाइट पर जो निजी घरानों का प्रपत्र प्रदर्शित किया गया उसके आधार पर यह बड़ा सवाल उठाया है कि देश के कई बड़े निजी घरानों द्वारा एक ही तिथि 17 अक्टूबर को टेंडर सबमिट किया गया है। इस बार मीटर निर्माता कंपनियां टेंडर में भाग नहीं ले पा रही हैं इसलिए कॉम्पिटीशन दरों में नहीं होगा और निजी घराने तालमेल कर उचित दरों पर टेंडर ले सकते हैं।

टाइमिंग बिल्कुल सेम है

सबसे चौंकाने वाला मामला यह है की पूर्वांचल बिजली कंपनी में दो निजी कंपनियों द्वारा भरे गए टेंडर की टाइमिंग बिल्कुल सेम है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने यह भी मुद्दा उठाया की विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47 (5) के तहत जब तक उपभोक्ता द्वारा प्रीपेड मीटर लगाने का ऑप्शन नहीं दिया जाएगा, उसके घर में प्रीपेड स्मार्ट मीटर नहीं लग सकता। ऐसे में बिजली कंपनियों ने प्रदेश के सभी बिजली उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर क्यों जारी किया। क्या सभी विद्युत उपभोक्ताओं ने अपने परिसर पर स्मार्ट प्रीपेड लगाने की सहमति दे दी है।

4 क्लस्टर में निकला टेंडर

परिषद अध्यक्ष अवधेश ने बताया कि जिस प्रकार केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों पर दबाव डालकर विदेशी कोयले की खरीद कराने का निर्णय लिया गया था, उसी प्रकार अब सभी राज्यों में आठ क्लस्टर के टेंडर को निरस्त कराकर चार में टेंडर निकलवा कर निजी घरानों को टेंडर दिलाने के लिए पूरी स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन बनाई गई है। जिस पर परिषद अध्यक्ष ने मांग की है कि सरकार तत्काल पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए इस पूरी प्रक्रिया को निरस्त कराए और पारदर्शी तरीके से स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन बनवाकर टेंडर निकालने की पुन: प्रक्रिया शुरू कराई जाय ताकि मीटर निर्माता कंपनियां भी भाग ले सकें।