- लखनऊ से 805 किमी दूर बोकारो जाएंगे ऑक्सीजन लेने

- 16 घंटे में पूरी होगी यात्रा

रुष्टयहृह्रङ्ख : सेना के जिस लो फ्लोर रैक से युद्धक टैंक और साजो सामान को मिलिट्री स्पेशल ट्रेन से भेजा जाता है। उसी लो फ्लोर रैक का इस्तेमाल ऑक्सीजन एक्सप्रेस में मेडिकल ऑक्सीजन सिलिंडर को यूपी लाने के लिए रवाना किया जाएगा। सेना के अलग-अलग बेस से आए लो फ्लोर रैक पर खाली ऑक्सीजन टैंकर को लोड कर रेलवे ने लखनऊ जंक्शन से उतरेटिया तक ट्रायल शुरू किया। रेलवे बुधवार रात 10 बजे पहला रैक बोकारो भेजेगा। एक रैक में सात ऑक्सीजन टैंकर होंगे। लखनऊ से बोकारो की 805 किलोमीटर की दूरी ऑक्सीजन एक्सप्रेस का खाली रैक 16 घंटे में पूरी करेगा।

दूसरे राज्यों से आएगी ऑक्सीजन

दरअसल लखनऊ सहित प्रदेश के बड़े शहरों में बढ़ रहे ऑक्सीजन के संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने झारखंड के बोकारो व जमशेदपुर और उड़ीसा के राउरकेला से मेडिकल ऑक्सीजन मंगाने की तैयारी की है। रेलवे ने ऑक्सीजन टैंकर के लिए सेना के पंजाब स्थित खंदारी कला, भटिंडा और यूपी के बबीना बेस से बीबीसीएम और एनबीडब्ल्यूटी रैक को मंगवाया है। पहला रैक लखनऊ पहुंचा, जिसमें राज्य सरकार की ओर से आसपास के जिलों से खाली ऑक्सीजन टैंकरों को लाकर उनको चारबाग स्टेशन के कैब वे से सटी साइडिंग पर लोड किया गया। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी और डीआरएम संजय त्रिपाठी सहित कई आला अधिकारी भी यहां मौजूद रहे।

एक रैक में सात ऑक्सीजन टैंकर

डीआरएम ने बताया कि हर एक रैक में कम से कम सात ऑक्सीजन टैंकर लोड कर भेजे जाएंगे। हालांकि टैंकर की संख्या बढ़ने से रैक में इनकी संख्या भी बढ़ाकर आठ से 10 की जा सकती है। अभी तीन और रैक सेना से मांगे गए हैं जो कि जल्द लखनऊ आ जाएंगे। हम पहला ऑक्सीजन एक्सप्रेस का रैक रात 10 बजे बोकारो रवाना करेंगे। इनको रवाना करने से पहले लखनऊ से उतरेटिया तक ट्रायल किया जा रहा है, जिससे उनको ले जाते समय कोई दिक्कत न हो। हम उम्मीद करते है कि बोकारो से लखनऊ आने में सड़क मार्ग से जो 32 से 36 घंटे का समय लगता है। वह रेलवे में 16 घंटे से भी कम लगेगा। खाली टैंकर को ले जाने में अतिरिक्त सावधानी बरतनी होती है। हल्के होने, हवा के दबाव और रैक के ब्रेक सिस्टम को देखते हुए गति 50 से 55 किलोमीटर प्रतिघंटा ही रखी जाएगी। हालांकि लोड ऑक्सीजन एक्सप्रेस जब लौटेगी तब उसकी स्पीड 5 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटा तक बढ़ाई जा सकती है। बोकारो पहुंचकर टैंकर उतारे जाएंगे। वहां ऑक्सीजन प्लांट में उनको लोड कर वापस स्टेशन लाया जाएगा, जहां उनकी लोडिंग रैक पर होगी। ग्रीन कॉरिडोर के रूप में चलाने के लिए सभी रेल मंडल से बात हो गई है।