लखनऊ (ब्यूरो)। अमेरिका से अपने पैरेंट्स को तलाशने लखनऊ आई महागनी उर्फ राखी को अब अपनों तक पहुंचने की कुछ उम्मीद दिख रही है। मंगलवार को प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया। राखी ने कलेक्ट्रेट स्थित कमरा नंबर-34 में डीपीओ विकास सिंह से मुलाकात की। इसपर उन्होंने राखी के पैरेंट्स को हर संभव तलाशने का आश्वासन दिया है। कहा कि प्रशासन उनके साथ है। ऐसे में अब राखी के अडॉप्शन वाली फाइलों को खोजना शुरू कर दिया है। इस दौरान इससे संबंधित कुछ फाइलें भी मिली हैं, जिससे पता चला कि राखी को कब बालिका बालगृह में रखा गया, कब अडॉप्ट किया। ये सभी रिकार्ड हैं।

बालिका गृह में रखा गया था नाम

डीपीओ विकास सिंह ने बताया कि शुरुआती तौर सभी फाइलों की जांच करवाई गई है। ऐसे में यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि उसके माता-पिता कहां और कौन हैं, क्योंकि बच्ची को लावारिस अवस्था में बालिका गृह में छोड़ा गया था। हालांकि, प्रशासन इसे लेकर हर संभव प्रयास कर रहा है। वहीं, जीआरपी चारबाग से भी वर्ष 2000 की फाइल खंगाली गई तो पता चला कि करीब साढ़े तीन साल की एक बच्ची लावारिस अवस्था में मिली थी, जिसे बालिका गृह में सौंप दिया गया था। इसमें उसकी बचपन की फोटो भी है। बालिका गृह में आने के बाद उसका नाम राखी रख दिया गया था।

मरते दम तक करूंगी अपनों की तलाश

राखी बताती हैं कि वह पिछले 19 दिनों से लखनऊ के अलग-अलग हिस्सों में अपने पैरेंट्स की तलाश में ठोकरें खा रही हैं। उनकी 9 अक्टूबर को अमेरिका के लिए फ्लाइट है, ऐसे में जब तक लखनऊ में हूं, हर दिन अपने पैरेंट्स की तलाश करूंगी। अगर कोई सफलता नहीं मिली तो फिर आऊंगी और मरते दम तक अपनों की तलाश करूंगी। राखी ने बताया कि कोर्ट केस फाइल करने के लिए उन्होंने वकील से भी मुलाकात की है, लेकिन वह केस सब्मिट करने के लिए एक हजार डॉलर फीस मांग रहे हैं, ऐसे में उनके इतने पैसे भी नहीं है कि वह केस लड़ सके।