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LUCKNOW : बीती 11 जुलाई को प्रदेश सरकार ने नागरिकों के सहयोग से एक ही दिन में 5 करोड़ पेड़ लगाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। सीएम अखिलेश यादव ने इस अभियान की शुरुआत पीपल का ही पेड़ लगाकर की थी। पर, आवास-विकास परिषद के ऑफिसर्स को पीपल का पेड़ सांप्रदायिक नजर आता है। यही वजह है कि वृंदावन कॉलोनी की आसरा व सपना सोसायटी में लगे पीपल के पेड़ उखड़वा दिये गए हैं। ऑफिसर्स की इस अजब दलील से वे रेजिडेंट बेहद नाराज हैं, जिन्होंने ऑक्सीजन के लिये सबसे मुफीद इन पीपल के पेड़ों को सोसायटी की ग्रीन एरिया में रोपित किया था।

अभियान चलाकर उखाड़े पेड़

वृंदावन कॉलोनी आसरा व सपना नाम से दो सोसायटी हैं। आसरा में कुल 692 फ्लैट्स जबकि, सपना सोसायटी में 348 फ्लैट्स हैं। हाल ही में इन सोसायटी में बने फ्लैट्स पूरी तरह फिनिश हो गए, जिसके बाद रेजिडेंट्स को इनका पजेशन दे दिया गया। तीन दर्जन से ज्यादा परिवार अपने फ्लैट्स में रहने के लिये भी आ गए। स्थानीय निवासी आशीष कुमार ने बताया कि उन्होंने जून महीने में फ्लैट के करीब ग्रीन एरिया में पीपल व कई अन्य पेड़ रोपित किये थे, लेकिन करीब 10 दिन पहले आवास विकास परिषद के कर्मचारी सोसायटी पहुंचे और चुन-चुनकर पीपल के पेड़ उखाड़ना शुरू कर दिया।

कहा, 'ऊपर' से आदेश है

स्थानीय लोगों ने इसकी वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि इसलिए 'ऊपर' से आदेश है कि सोसायटी में पीपल का पेड़ न लगाया जाएं और न ही लगने दिया जाए। सोसायटी में सफाई, हरियाली और पेयजल की व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाले आवास विकास के जूनियर इंजीनियर रजनीश वर्मा ने भी माना कि उन्होंने पीपल के पेड़ उखड़वाए हैं। उन्होंने कहा कि पीपल के पेड़ से भविष्य में सोसायटी मे सांप्रदायिक तनाव हो सकता है। साथ ही पेड़ के नीचे मंदिर बनने की भी आशंका है। यही वजह है कि लोगों से कहा गया है कि वे पीपल का पेड़ सोसायटी में न लगाएं।

गमले में लगाया

सोसायटी में रहने वाली रामश्री तिवारी ने बताया कि उन्होंने पहले तो पीपल का पेड़ उखाड़े जाने का विरोध किया। पर, जब कर्मचारी नहीं माने और पीपल का पौधा उखाड़ दिया तो उन्होंने वह पौधा अपने गमले में लगा लिया।

ऑक्सीजन का सबसे बेहतर स्रोत है पीपल

लखनऊ यूनिवर्सिटी में बॉटनी विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट एस। लावनियां ने बताया कि पीपल का पेड़ आकार में बेहद बड़ा होता है साथ ही यह सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों में शामिल है। पीपल की उम्र भी अन्य पेड़ों से ज्यादा होती है और यह 100 साल से अधिक समय तक जीवित रहता है। पर्यावरण की बेहतरी के लिये यह पेड़ बेहद मुफीद है।

पीपल का पेड़ उखाड़ने को लेकर जो दलील आवास विकास परिषद के कर्मचारी दे रहे हैं वह समझ से परे है। अगर उनकी दलील सही होती तो सरकार वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान पीपल का पेड़ क्यों लगाती है।

- आशीष अवस्थी

मैंने दो महीने पहले ग्रीन एरिया में पीपल का पौधा लगाया था। मैं रोज उस पौधे का पानी देती थी। लेकिन, आवास-विकास परिषद के कर्मचारियों ने उस पौधे को उखाड़ दिया। यह बेहद निंदनीय है।

- सविता सिंह

सरकार प्रचार करती है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिये ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ और जब हमने पेड़ लगाया तो सरकारी विभाग के लोग ही इसे उखाड़ रहे हैं। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है।

- रामश्री तिवारी

हमने पीपल के पेड़ उखड़वाए हैं। इससे भविष्य में सोसायटी मे सांप्रदायिक तनाव हो सकता है। पेड़ के नीचे मंदिर बनने की भी आशंका है। यही वजह है कि लोगों से कहा गया है कि वे पीपल का पेड़ सोसायटी में न लगाएं।

-रजनीश वर्मा, जू। इंजीनियर, आवास विकास

अगर ऐसा है तो यह बेहद गंभीर मामला है, डीएफओ से इसका पड़ताल करवाएंगे, दोषी पाए जाने पर इंजीनियर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

-दुर्गाप्रसाद यादव, वन मंत्री