- रमजान हेल्पलाइन पर रोजेदार पूछ रहे सवाल

LUCKNOW: माहे रमजान को तीन अशरे में बांटा गया है। पहला अशरा रहमतों का है जबकि दूसरा अशरा यानि मगफिरत अपनी ढलाल की ओर है, जहां लोग अल्लाह की इबादत करते हुये अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। वहीं, तीसरा अशरा निजात का है। इस अशरे में खुदा की इबादत करने वालों को जहन्नुम की आग से मुक्ति मिलती है। सबसे अहम तीसरा अशरा है क्योंकि इसी अशरे की ताक रातों में यानी 21वीं, 23वीं, 25वीं व 27वीं शब ए कद्र हो सकती है और शब ए कद्र की इबादत का सवाब हजार साल की इबादतों के बराबर होता है। 27 रमजान की रात को कुरआन शरीफ नाजिल हुआ इसलिए इन रातों की अहमियत काफी बढ़ जाती है इसलिए रोजेदार इन पांचों रात को जागकर खुदावंदे करीम की इबादत करते हैं।

सुन्नी सवाल। जवाब

सवाल । मेरा जेवर किसी के पास गिरवी रखा है क्या उस पर भी जकात वाजिब है।

जवाब । उस जेवर की जकात आपके जिम्मे नहीं है।

सवाल । हमारे यहां कैदियों के सिवा कोई मिसकीन (गरीब) नहीं तो किस तरह सद्का फित्र अदा किया जाये, क्या कैदियों का गरीबों में शुमार है।

जवाब । जबकि उनके पास निसाब के बराबर माल न हो तो वह गरीब हैं उनको सद्का फित्र देना सही है।

सवाल । एक शख्स हज को जा रहा है, लेकिन उसके पास रुपये कम पड़ रहे हैं तो क्या उनको जकात की रकम देना सही है।

जवाब । उनको जकात की रकम देना सही नहीं है।

सवाल । क्या ऐतिकाफ करने वाला ऐतिकाफ की हालत में मस्जिद में बैठकर ऑनलाइन शापिंग कर सकता है।

जवाब । उसके कोई नुकसान नहीं, कर सकता हैण्

सवाल । ऐतिकाफ करने वाले के लिए अच्छी बातें क्या क्या हैं।

जवाब । ऐतिकाफ करने वाले के लिए अच्छी बातें यह हैं कि कुरान शरीफ पढ़ना, दुरूद शरीफ पढ़ना, इस्तिगफार व तस्बीहात में लगे रहना, अच्छी बातें करना, उन्हीं का सीखना सिखाना, दीनी किताबों का अध्ययन करना, तकरीर व नसीहत करना, अल्लाह का जिक्र करना इसके अलावा जो इबादत करने का दिल चाहे करता रहे।

शिया सवाल.जवाब

सवाल । क्या माता पिता के कजा रोजे रखवाना औलाद पर वाजिब है।

जवाब । माता पिता की कजा नमाज और रोजा रखना बडे़ पुत्र पर अनिवार्य है, खुद रखे या पैसा देकर रखवाये।

सवाल । क्या फितरे का पैसा गैर सैयद को दिया जा सकता है।

जवाब । फितरे का पैसा गैर सैयद को दिया जाए तो कोई हरज नहीं है, परंतु सैयद का फितरा सैयद को दे सकते है।

सवाल । शबे कद्र में सौ रकाअत नमाज पढ़ना जरूरी है।

जाब । शबे कद्र में सौ रकाअत नमाज पढ़ना बहुत ही सवाब का काम है। चाहे कजा नमाज उसकी जगह पढ़ें।

सवाल । नमाजे शबे कद्र जमाअत से पढ़ी जा सकती है।

जवाब । मुस्तहबी नमाज जमाअत से नहीं हो सकती है इसलिए नमाजे शबे कद्र वाजिब नहीं है।

सवाल । क्या एतेकाफ रमजान के अलावा भी हो सकता है।

जवाब । एतेकाफ रमजान के अलावा दूसरे महीनों में भी हो सकता है।

फैमिली कोट

इस बार का माहे रमजान हर मायनों में अलग है। हम लोगों को अल्लाह की ज्यादा से ज्यादा इबादत करने का मौका मिल रहा है। इफ्तार के समय हर किसी को यही दुआ करनी चाहिए कि जल्द से जल्द यह कोरोना संकट दूर हो ताकि हम लोग पहले जैसे एक दूसरे से मिल सकें।

अतहर हुसैन आबिदी, बजीरगंज

सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नम्बरों 9415023970 9335929670, 9415102947, 7007705774, 9140427677 और Email: ramzanhelpline.2005@gmail.com WWW.farangimahal पर सवाल पूछ सकते है।

शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर 6386897124 है जबकि शिया हेल्पलाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।