- डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिक्यूलर मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी पीजीआई में हुआ रिसर्च

LUCKNOW :कोरोना वायरस लोगों के फेफड़े के अलावा गुर्दे, मस्तिष्क, हृदय और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को भी संक्रमित कर रहा है। इसका क्या कारण है, यह जानने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। वहीं पीजीआई के एक प्रोफेसर ने कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में मौजूद रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के अलावा एक नई बाइंडिंग साइट की पहचान की है, जिसे सियालोसाइड बाइंडिंग साइट नाम दिया गया है। इससे यह पता चलेगा कि वायरस किस तरह लोगों को प्रभावित कर रहा है, जिससे कोरोना के लिए पूरी तरह कारगर वैक्सीन या दवा बनाई जा सके।

कंम्प्यूटर बेस्ड रिसर्च

इंटरनेशनल व नेशनल टीम द्वारा जर्नल 'वायरस' में प्रकाशित एक नया सफलता शोध अध्ययन, जिसे पीजीआई लखनऊ के आणविक चिकित्सा एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग में सहायक प्रो। डॉ। संतोष कुमार वर्मा के नेतृत्व में किया गया है, में कोरोना को लेकर कई बातें कही गई हैं। डॉ। संतोष ने बताया कि कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए कोरोना वायरस अपने स्पाइक-प्रोटीन रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन का उपयोग मानव एंजियोटेनसिन कन्वर्जिंग एंजाइम-2 रिसेप्टर प्रोटीन के साथ मेजबान कोशिकाओं की सतह से जुड़ने के लिए करता है। ऐसे में वायरस इतना खतरनाक क्यों है, यह जानने के लिए हमारी टीम ने अमेरिकी मैरीलैंड यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के साथ मिलकर कंप्यूटर बेस्ड रिसर्च किया। जिसमें पता चला कि कोरोना मेजबान कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए दोहरी रिसेप्टर्स रणनीति का प्रयोग करता है।

मर्स वायरस का बाइंडिंग कैरेक्टर

वायरस के संक्रमण के लिए सामान्य होस्ट-सेल रिसेप्टर यानि एसीई-2 के उच्च अनुक्रम समानता और उपयोग के बावजूद सार्स-सीओवी-2 अपने निकट संबंधी सार्स-सीओवी वायरस की तुलना में अधिक संक्रामक है। रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन के अलावा, एक अन्य सियालोसाइड बाइंडिंग साइट कोरोना वायरस के स्पाइक-प्रोटीन में मौजूद है, वहीं सार्स-सीओवी में यह गायब है और मर्स-सीओवी की याद ताजा करती है। जिसमें सियालोसाइड बाइंडिंग साइट मौजूद हैं, यानि इसमें मर्स-सीओवी के बाइंडिंग क्वालिटी है।

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करता है संक्रमित

डॉ। संतोष ने बताया कि एक्स्ट्रा सियालोसाइड बाइंडिंग कोरोना वायरस को सियालिक एसिड युक्त कार्बोहाइट्रेड के साथ बांधने में मदद करता है। यह मानव अंगों की सतह पर मौजूद विभिन्न सियालग्लाइको प्रोटीन संग जुड़ा होता है, जो ऊतकों को संक्रमित करने के लिए कोरोना वायरस का समर्थन करता है।

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वायरस को रोकने में मिलेगी मदद

डॉ। वर्मा ने बताया कि इस रिसर्च से यह पता चलेगा कि कैसे कोरोना वायरस का संक्रमण और प्रसार होता है और इसमें रियालोसाइड बाइंडिंग साइट कैसे सहयोग करती है। इस वैकल्पिक रिसेप्टर्स रणनीति को रोकने के लिए भी इससे मदद मिलेगी। कोरोना की सटीक दावा और वैक्सीन के निर्माण में भी यह रिसर्च कारगर साबित होगा।