लखनऊ (ब्यूरो)। तकनीक को स्थापित करने वाले यूरोलॉजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ प्रो संजय सुरेखा और न्यूक्लियर मेडिसिन के डॉ। आफताब नजर के मुताबिक पेट गाइडेड बायोप्सी में पहले प्रोस्टेट में कैंसर की सही स्थिति का पता लगाते हैं। इसके बाद रोबोट से शरीर के ऊपरी सतह से कितने अंदर कहां पर स्थित है, यह पूरी पोजिशनिंग करने के बाद ट्यूमर से बायोप्सी रोबोट के जरिए लेने का काम करते हैं। इस तकनीक की मदद से कैंसर को पकडऩा अब पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है।

कम समय में होगी जांच
एक्सपर्ट के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर की पुराने तकनीक से एक से दो फीसदी में कैंसर का पता नहीं लग पाता था। इसके लिए कई बार दोबारा बायोप्सी करनी पड़ती थी। इसमें मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन नई एडवांस तकनीक की मदद से कम समय में पूरी होने वाली यह प्रक्रिया लगभग दर्द रहित है। इसमें मात्र एक इंजेक्शन की तरह नाममात्र की चुभन महसूस होती है। इस नई तकनीक से मरीज के सभी अंगों में कैंसर कोशिकाओं के फैलाव के साथ रोबोट द्वारा बायोप्सी करके कैंसर के बारे में जाना जा सकेगा। इस प्रक्रिया में महज 15-20 मिनट का ही समय लगेगा। इससे समय की भी बचत होगी।