- विद्युत नियामक आयोग ने तीन मुख्य अभियंताओं को दिया नोटिस

- आपूर्ति बढ़ोतरी के नाम पर वसूल रहे थे शहरी शेड्यूल पर बिल

LUCKNOW: प्रदेश की बिजली कंपनियों द्वारा लगातार टैरिफ उल्लंघन के मामले में नियामक आयोग ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए तीन मुख्य अभियंताओं को नोटिस जारी कर 3 अगस्त को तलब किया है। तीनों मामलों में उ.प्र। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किए थे। जिन पर सुनवाई के बाद अध्यक्ष ने यह आदेश जारी किया।

एक लाख का लग सकता है जुर्माना

नियामक आयोग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा ने एक साथ मुख्य अभियंता बरेली जोन, मुख्य अभियंता कानपुर जोन और मुख्य अभियंता वाराणसी जोन को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत नोटिस जारी कर 3 अगस्त को तलब किया है। उपभोक्ता परिषद ने यूपी की बिजली कंपनियों में विद्युत आपूर्ति बढ़ोतरी के नाम पर ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की बिलिंग शहरी शेड्यूल पर किए जाने का आरोप लगाते कानपुर, बरेली और वाराणसी उपभोक्ताओं की शिकायत के आधार पर आयोग में याचिका दायर की थी। नियामक आयोग ने संबंधित बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों व कार्पोरेशन से रिपोर्ट तलब कीथी। बिजली कंपनियों ने कोई जवाब नहीं दिया। जवाब देने में नाकाम होने पर मुख्य अभियंताओं पर एक लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है।

कई गुना बढ़ गया था बिल

उ.प्र। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ग्रामीण उपभोक्तओं से शहरी शेड्यूल की बिलिंग की जा रही है। इसके कारण ग्रामीण उपभोक्ताओं का बिल कई गुना अधिक बढ़ गया है। इटावा के करीब सात हजार किसानों को विद्युत आपूर्ति बढ़ने के नाम पर बैक डेट से वर्ष 2012 से बिलिंग शहरी दर पर भेज दी गई। आयोग आदेश के बाद भी दक्षिणांचल बिजली कंपनी ने कोई ध्यान नहीं दिया। वाराणसी में ग्रामीण व किसानों से शहरी शेड्यूल के हिसाब से की जाने लगी। सबसे चौंकाने वाला मामला तो बरेली जनपद के बहेड़ी का सामने आया, जहां सात गांवों को आज भी उत्तराखंड से बिजली मिलती है और उसकी बिलिंग मध्यांचल कंपनी द्वारा शहरी आधार पर की जा रही है.बरेली के अधिशासी अभियन्ता द्वारा उत्तराखण्ड से रिर्पोट मांगी गई। जहां से यह जानकारी दी गई कि यह ग्रामीण फीडर है। फिर भी बिलिंग शहरी आधार पर की जाती रही।