- एक ही तेल में बार-बार पकाने जाने पर बन रहे साइलेंट किलर

- आईआईटीआर में फूड सेफ्टी एंड अपाच्र्युनिटीज विषय पर सेमिनार

LUCKNOW: बाजार में बिकने वाले जिस समोसे और कबाब का नाम सुनकर आपके मुंह में पानी आ जाता है वह सेहत के लिए नुकसान दायक भी हो सकता है। दरअसल इन्हें जिस तेल में पकाया जाता है उसके कारण लोगों को हार्ट की जानलेवा बीमारियां हो रही हैं। यह चौंकाने वाली जानकारी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (सीएसआईआरर) में फूड सेफ्टी चैलेंजेज एंड अपाच्र्युनिटीज विषय पर आयोजित सेमिनार में डॉ। एसपीएस खनुजा ने दी।

पकाते समय धुंआ निकले तो सावधान

डॉ। खनुजा ने बताया कि तेल में जब एक बार कुछ तला जाता है तब तक ठीक है। लेकिन दोबारा यूज में यह हाइड्रोजिनेटेड हो जाता है और ट्रांस फैट में कन्वर्ट हो जाता है। जिससे ट्राई ग्लिसराइड्स बनते हैं जो बैड कोलेस्ट्राल बढ़ता है। इनसे बने हुए फूड को खाने से हमारी खून की नलियों में वसा का जमाव होता है। जिससे ये धमनियां चोक हो जाती हैं। और कभी भी हार्ट अटैक की समस्या हो जाती है। खाने वाला तेल ठीक है या नहीं इसकी पहचान यही है कि कुछ भी पकाते समय तेल से धुंआ नहीं निकलना चाहिए। ऐसे तेल से बने हुए पराठे बहुत खतरनाक है।

अंकुरित आलू, हरा टमाटर खतरनाक

उन्होंने बताया कि स्प्राउट पोटैटो या अंकुरित आलू बहुत खतरनाक है। अंकुरित होने होने पर स्टार्च फिर से कार्बोहाइड्रेट में कन्वर्ट हो जाता है, साथ बहुत से और केमिकल बनते हैं जो हमारे लिए खतरनाक है। इसलिए ऐसे आलू खाने से बचें। इसके अलावा टमाटर जो ऊपर की तरफ हरा है वह खाने से बचें। इस हरे रंग में टोमेटीन होता है जो कि हार्मफुल है। यह लाइकोपीन में बदलता है तो टमाटर लाल हो जाता है। तब यह खाने के लिए ठीक है। हरा टमाटर खाने से बचें।

यूं ही न खाएं एलोवेरा, तुलसी

डॉ। खनूजा ने बताया कि बहुत सी हर्ब हमारे लिए फायदेमंद हैं, लेकिन जब तक उन्हें सही मात्रा में लिया जाए। ऐसे ही तुलसी रोजाना 2-3 पत्ती ठीक है लेकिन उससे अधिक लेने पर यह हमारी सेल्स को किल करती है जिससे हमारी आंतों में घाव हो जाते हैं। इसके अलावा एलोवीरा ऐसे ही घर में नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इससे जिन लोगों में पेट में छाले या बाउल सिंड्रोम है उनमें फफोले पड़ जाते हैं जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसलिए इसे विशेष विधि से प्रासेस करके निकाला जाता है तो यह खाने लायक बनता है।

इंडिया में सबसे अधिक शिकायतें

कार्यक्रम में इंडिया ग्लाइकोल्स लिमिटेड नोयडा के आर एंड डी प्रेसीडेंट डॉ। आरके खांडल ने बताया कि फूड में मिलावट की शिकायतें सबसे अधिक इंडिया से हैं। लेकिन मात्रा के मामले में चीन हमसे आगे हैं। हमारे यहां हर साल लगभग 340 कंपलेन तक आती हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर खाने वाली चीजों पर किसी को कोई परवाह नहीं है। खाने के सामान में मिलाया जाने वाला रंग बहुत खतरनाक है लेकिन कोई मना नहीं करता। चाय, मसाले, हनी, चावल, आम सहित बहुत सा सामान हम हर साल इंडिया से एक्सपोर्ट करते हैं। बाहर के देशों वाले अपने मानको पर खतरा उतरने वाला प्रोडक्ट ही लेते हैं। घटिया प्रोडक्ट हमारे देश के लोगों को ही खाना पड़ता है। इनकी जांच के लिए हमें देश में लैबोरेटरी की संख्या बढ़ानी होगी। गोल गप्पे वाले या अन्य दुकानों पर हमें हाइजीन लेवल सुधारना होगा और स्वच्छ भारत मिशन को घर से ही शुरू करना होगा। उन्होंने बताया कि फूड प्रोडक्ट्स को हम पालीथीन में फेंक देते हैं जो ठीक नहीं है।