लखनऊ (ब्यूरो)। कोरोना काल में स्कूलों की ओर से ली गई फीस पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद स्कूल अपने गुणा-भाग में जुट गए हैं। कोर्ट ने सत्र 2020-21 में ली गई पूरी फीस में से 15 प्रतिशत फीस अगले सत्र में समायोजित करने के लिए कहा है। स्कूलों के संचालक कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए अपने-अपने तर्क भी दे रहे हैं। अधिकांश स्कूलों का कहना है कि वे कोरोना के समय ही परिस्थितियों को देखकर फीस में 20 से 30 प्रतिशत तक की छूट दे चुके हैं, फिर भी कोर्ट के आदेश के बाद वह जल्द ही एसोसिएशन की बैठक करने जा रहे हैं।

शिक्षा अधिकारी अभी स्पष्ट नहीं

हाई कोर्ट के आदेश पर निजी स्कूल फीस समायोजित या माफ करने की निगरानी शिक्षा अधिकारियों पर रहेगी। हालांकि, अभी शिक्षा अधिकारी इसे लेकर स्पष्ट नहीं हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार का कहना है कि हाई कोर्ट का जो आदेश होगा, उसका पालन कराया जाएगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार का कहना है कि इसमें विभागीय निर्देश आने पर अभिभावकों की रिपोर्ट के आधार पर स्कूलों में अनुपालन कराया जाएगा।

अभिभावकों को इंतजार

अभिभावक संघ के कोषाध्यक्ष भूपेंद्र ङ्क्षसह का कहना है कि हाई कोर्ट ने एक राहत भरा आदेश दिया है, लेकिन जब तक स्कूलों पर अधिकारियों का दबाव नहीं होगा, स्कूल फीस समायोजित या वापस नहीं करेंगे। स्कूलों ने इस साल फीस में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। कोविड के समय अभिभावकों ने पूरी फीस दी थी, जबकि स्कूलों का खर्च कम हुआ था। स्कूल 15 प्रतिशत छूट किस आधार पर देंगे, इसे लेकर अभिभावक भी इंतजार कर रहे हैं।

स्कूल प्रबंधन के साथ बैठक कर निर्णय

कोविड के समय निजी स्कूलों ने अपने स्तर पर फीस में 20 प्रतिशत तक छूट दी थी। जिन बच्चों के परिजन का कोविड से निधन हुआ था, उन्हें 50 से 100 प्रतिशत छूट दी गई। कोर्ट के आदेश के बाद आगे शुल्क को लेकर क्या करना है, इस पर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की जल्द ही बैठक होगी। हमारी सहानुभूति पैरेंट्स के साथ है।

-अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन

किस मद में फीस वापस करनी है

कोरोना काल में 15 से 25 प्रतिशत तक बच्चों की फीस माफ की थी। कई अभिभावक ऐसे भी थे जो बची फीस भी नहीं दे सकते थे, उन्हें भी राहत दी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि किस मद से 15 प्रतिशत फीस वापस करनी है। एसोसिएशन जल्द ही इस पर बैठक कर तय करेगी, उसके बाद ही हम आगे कुछ निर्णय लेंगे।

-हृदय नारायण जयसवाल, प्रबंध निदेशक, बाल निकुंज स्कूल एंड कालेजेस, मोहिबुल्लापुर

जिन्होंने छूट नहीं दी उनके लिए आदेश

हाई कोर्ट का हर आदेश सर्वोपरि है। कोर्ट ने 15 प्रतिशत फीस वापसी का जो आदेश दिया है, मेरी समझ में वह उन स्कूलों के लिए है जिन्होंने कोरोना काल में भी पूरी फीस ली है। सत्र 2020-21 में हमने फीस में 20 प्रतिशत सभी बच्चों को छूट दी थी। अभी कोर्ट का आदेश नहीं देखा है फिर भी यदि कोर्ट का आदेश होगा तो उसका पालन होगा। जल्द ही एसोसिएशन की बैठक होगी।

-आरके छत्तरी, प्रधानाचार्य, क्राइस्ट चर्च कालेज, हजरतगंज

मंथन के बाद निर्णय

कोर्ट की ओर से जो आदेश दिया गया है, हम उसका सम्मान करते हैैं। हमारी ओर से कोविड काल में पहले ही पैरेंट्स को छूट दी गई है। इस संबंध में जल्द ही एसोसिएशन की बैठक होगी, जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

-डॉ। माला मेहरा, सचिव, अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन