खतरे में मासूमों की जान, प्रशासन अंजान

- लाइसेंस है नहीं और चला रहे हैं स्कूली वैन

- आरटीओ प्रवर्तन ने आंखें मूंदीं

- अभिभावकों को स्कूली वैन के नियमों के बारे में ही जानकारी नहीं

LUCKNOW :

राजधानी में आपके स्कूली बच्चों की जान अनाड़ी वैन ड्राइवर के हाथों में हैं। यह पता तो परिवहन विभाग के अधिकारियों को भी है, लेकिन वह हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। इसका खामियाजा मासूमों को भुगतना पड़ रहा है। बीते शुक्रवार को एक स्कूली वैन दुर्घटना का शिकार हुई जिसमें आधा दर्जन से अधिक छात्राएं चोटिल हो गई। मामलें की जांच की गई तो पता चला कि उस व्यक्ति के पास स्कूली वैन चलाने का लाइसेंस ही नहीं था। यह हाल तब है जब पिछले महीने ही स्कूली वैन के खिलाफ राजधानी में परिवहन विभाग की देखरेख में अभियान चला था। इस अभियान का सच मात्र एक माह के भीतर ही सबके सामने आ गया।

ना फिटनेस ना लाइसेंस

स्कूली बच्चों को ढोने वाली तमाम गाडि़यों की हालत जर्जर है। बिना फिटनेस के ही स्कूली वैन सड़कों पर दौड़ रही हैं, लेकिन कोढ़ में खाज की स्थिति तो तब होती जब इन गाडि़यों की स्टेयरिंग अनाडि़यों के हाथ में पकड़ा दिया जा रहा है। बिना लाइसेंस के ही चालक स्कूली वैन को दौड़ा रहे हैं। इस मामले की जानकारी भी आरटीओ ऑफिस को बखूबी है, लेकिन छात्रों को होने वाली दिक्कतों का हवाला देकर वह बच निकलते हैं। उनका कहना होता है कि हम जुर्माना वसूल कर गाडि़यों को छोड़ देते हैं। गाडि़यां बंद करने पर बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। वहीं जुर्माना भरने के बाद गाड़ी मालिक फिर से अपने काम में जुट जाते हैं। वह लाइसेंस बनवाने की तरफ ध्यान ही नहीं देते।

पैरेंट्स को भी नहीं जानकारी

इस मामले में जहां आरटीओ ऑफिस के अधिकारी सुस्त हैं वहीं इन वैन में जाने वाले बच्चों के पैरेंट्स को भी स्कूली वैन से जुड़ी जानकारियां नहीं होती हैं। स्कूली वैन को लेकर कई बार अभिभावकों को कोई जानकारी नहीं होती। वे ना तो चालक का लाइसेंस चेक करते हैं और ना ही वे गाड़ी की हालत देखते हैं। बच्चें को स्कूल भेजने की व्यवस्था कर उनकी जिम्मेदारी पूरी हो जाती है। वहीं इस मामले में स्कूल प्रशासन किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं।

कोट

भदोही में हुए स्कूल वैन हादसे के बाद राजधानी में स्कूली वैन के खिलाफ सघन अभियान चला था। तीन दिन चले इस अभियान में कई चालकों के खिलाफ एक्शन भी लिया गया। स्कूली वैन के खिलाफ अभियान की शुरुआत फिर से होगी। इस बार जिसके पास लाइसेंस नहीं मिलेगा, उस गाड़ी का स्कूली परमिट रद्द किया जाएगा।

- एके त्रिपाठी

आरटीओ, लखनऊ

बाक्स: स्कूली बसों के हादसे

16 सितम्बर 2016: चालक को मिर्गी का दौरा पड़ने चालक का नियंत्रण स्कूली वैन से खत्म हो गया, नतीजा वैन एक गड्डे में गिर गई और इसमें मौजूद सात छात्राओं को खासी चोटे आई। एक छात्रा के हाथ की हथेली से शीशा आर-पार हो गया।

जुलाई 2016: भदोही में स्कूली वैन रेलवे ट्रैक पर पहुंच गई और बड़ा हादसा हुआ। इस हादसे में कई बच्चों की जान भी गई। इस मामले में चालक के पास लाइसेंस नहीं था।

25 अप्रैल 2009- गाजीपुर में स्कूल रोडवेज बस भिड़ी, लामार्ट के तीसरी कक्षा के छात्र की मौत

15 जुलाई 2009 मोहनलाल गंज में स्कूली बच्चों से भरा टेंपो ट्रक से भिड़ा, छात्रा की मौत, 13 घायल।

5 मार्च 2010- मोहनलाल गंज में 40 बच्चों से भरी स्कूल बस पलटी 13 घायल

- 23 अप्रैल 2010- सिटी बस ने स्कूली बच्चों से भरे रिक्शे पर टक्कर मारी, दो जख्मी।

27 अप्रैल 2010- स्कूली बस और मारुति कार में भिड़ंत, छह बच्चे पहुंचे हॉस्पिटल, दो गंभीर रूप से घायल

26 नवम्बर 2012 में - स्कूली बस कैसरबाग चौराहे के पास बस में पीछे से जा लड़ी। इस दुर्घटना में चालक को गंभीर रूप से चोटे आई थी।

27 अप्रैल 2014- गोमती नगर स्थित शंकर चौराहे के पास मंगलवार को एक स्कूली बस और मारुति कार में भिड़ंत हो गई। स्कूली बस में सवाल दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। गोमती नगर फेज टू में ग्वारी गांव के पास बने गंगोत्री शिशु मंदिर स्कूल की बस छुट्टी के बाद 18 बच्चों को लेकर उन्हें छोड़ने घर जा रही थी।

पैरेंट्स इस बातों रखें ख्याल

- स्कूल ले जाने वाला वाहन कानूनी रूप से अधिकृत होना चाहिए।

- चालक का नाम, पता और उसका मोबाइल नम्बर गाड़ी पर छपा होना चाहिए। साथ ही इसकी जानकारी आप अपने पास भी नोट कर जरूर रखे।

- जो ड्राइवर बच्चों को ढो रहा है, देख ले कि उसके पास वाहन चलाने का पांच साल का अनुभव है या नहीं।

- गाड़ी में अग्निशमन यंत्र है या नहीं।

नंबर गेम

1600 रजिस्टर्ड स्कूली वैन और बसें

5000 से अधिक बिना रजिस्ट्रेशन के स्कूली वैन और बसों का संचालन

बोले, पैरेंट्स

गाड़ी और चालकों की जांच करना हमारी जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस है। आखिर इनके होते हुए अवैध गाडि़यों का संचालन क्यों हो रहा है। यह तो मासूमों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

- हरीश, जॉब

स्कूली वैन के नियमों के बारे में हमें जानकारी ही नहीं है तो भला हम चालक की जांच कैसे कर पाएंगे। फिर एक दिन चालक से लाइसेंस मांगिए तो धमकी यह मिलती है कि आप बच्चे को किसी और वैन से भेज दीजिए।

- मुकेश

लगातार हादसे हो रहे हैं और आरटीओ के अधिकारी सिर्फ जुर्माना वसूल कर बिना लाइसेंस वाले चालकों को छोड़ रहे हैं। ऐसे लोगों को तो जेल भेज देना चाहिए जो मासूमों की जिंदगी के लिए खतरा बने हुए हैं।

- जसपाल, अभिभावक

एक ओर स्कूली वैन चालक हम लोगों से इतनी मोटी फीस वसूलते हैं। आखिर फिर स्कूली वैन के संचालन की नियमों और शर्तो को पूरा क्यों नहीं करते। हम लोगों से फीस बढ़ाने का कारण ही बताया जाता है कि आरटीओ से फिटनेस करानी पड़ती है।

- रविन्द्र सोनकर, अभिभावक