लखनऊ (ब्यूरो)। स्कूलों में कोरोना के मरीज मिलने के बाद प्राइवेट स्कूलों ने पेरेंट्स से बच्चों को प्राइवेट वैन से स्कूल न भेजने की अपील की है। पेरेंट्स से कहा गया है कि अगर वे स्कूल वैन या बस नहीं लगवाना चाहते हैं तो खुद बच्चे को पिक एंड ड्रॉप करने आएं। यही नहीं स्कूलों में प्राइवेट वाहनों से आने वाले बच्चों की हेल्थ पर भी नजर रखी जा रही है। पेरेंट्स से यह भी कहा गया है कि वे पता करें कि प्राइवेट स्कूल वाहनों के ड्राइवरों को वैक्सीन लगी भी है कि नहीं।

वैक्सीन सर्टिफिकेट मांगें

पेरेंट्स को भेजे गए मैसेज में साफ कहा गया है कि अगर उनके बच्चे प्राइवेट स्कूल बस या वैन से आते हैं तो इनके ड्राइवरों से कोरोना वैक्सीन लगे होने का सर्टिफिकेट मांगें और उसकी जांच करें। साथ ही उनसे कहें कि वे अपनी गाड़ी को रोज सेनेटाइज करें। वहीं पेरेंट्स से यह भी कहा गया है कि स्कूल के निजी वाहन रोज सेनेटाइज किए जाते हैं और उनके ड्राइवर और कंडक्टर की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होती है। राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में अब स्कूलों की बसें और वैन ही बच्चों के लिए अधिक सुरक्षित हैं।

ई-रिक्शा या ऑटो से न भेजें स्कूल

पेरेंट्स से अपील की गई है कि वे बच्चों को ई-रिक्शा, ऑटो या फिर किसी प्राइवेट वाहन से स्कूल न भेजें। कुछ दिन बाद गर्मियों की छुट्टियां होनी हैं। ऐसे में कुछ दिन पेरेंट्स को विशेष सतर्कता रखनी होगी। कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए यह जरूरी है।

दो सप्ताह बाद गर्मियों की छुट्टियां हो जाएंगी, ऐसे में कुछ दिन पेरेंट्स प्राइवेट साधनों की जगह खुद बच्चों को स्कूल छोडऩे और लेने आएं, तो बेहतर होगा। बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए यह जरूरी है। स्कूल 5 से 12 साल तक के बच्चों के टीकाकरण के लिए तैयार हैं।

-अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन