लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ संग कई शहरों में लगातार तीन साल से धारा 144 लागू है। राजधानी में यह धारा कोरोना काल में लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही लगा दी गई थी। वहीं, 11 जनवरी को एक बार फिर इसको एक माह के लिए बढ़ा दिया गया है।

धारा 144 को कानूनी हथियार बनाया

यह धारा लॉकडाउन के दौरान से नियमित तौर पर लागू होती रही। स्थित सामान्य होने के बाद बाकी पाबंदियां तो हटीं, लेकिन धारा 144 लगने का सिलसिला जारी है। विपक्षी दल इसे तानाशाही कह रहे हैं। वहीं, पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इस धारा का हथियार के रूप में यूज किया जा रहा है, ताकि लोग एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आवाज न उठा सकें।

विधानसभा में भी उठ चुका है मुद्दा

कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने 2021 में विधान परिषद में सरकार से पूछा था कि यूपी में कब-कब कितने जिलों में धारा 144 लागू की गई। इसके जवाब में विधान परिषद में एक डेटा पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2021 के बीच कोई भी ऐसा माह नहीं रहा, जब यूपी में 50 से कम जिलों में धारा 144 लागू न रही हो।

इन परिस्थितियों में लागू होती है 144

- पर्व, त्योहार, परीक्षाएं, मेले व शांति भंग की आशंका पर

- असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने के लिए

- अचानक बने असमान्य हालातों से निपटने के लिए

- चुनाव आदि के दौरान हालात सामान्य रखने के लिए

क्या है धारा 144

- जिस क्षेत्र में यह धारा लागू होती है, वहां एक स्थान पर चार या उससे अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते।

- आमजन के हथियार लेकर पहुंचने या इक_े होने पर भी पाबंदी लग जाती है

- यह धारा सार्वजनिक सभाओं को प्रतिबंधित करती है

क्या है सजा का प्रावधान

इसके उल्लंघन पर गिरफ्तारी धारा 107 या फिर धारा 151 के तहत की जा सकती है। आरोपी को एक साल कैद की सजा भी हो सकती है। यह जमानती धारा है। इसके लिए कोर्ट के अनुसार निर्धारित मुचलके भरने होते हैं या आवश्यक शर्त पूरी करनी होती है।

तीन साल से धारा 144 लागू रहना मौलिक अधिकारों का हनन है। यह धारा विषम परिस्थितियों में लगाई जाती है जैसे बवाल, दंगा, इमरजेंसी आदि। इस स्थिति में कोई भी मुखर होकर आवाज बुलंद करने पर कानूनी मसलों में फंस सकता है। पुलिस अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए इसका गलत यूज कर रही है।

- सुरेश पांडेय, अध्यक्ष, अवध बार एसोसिएशन

धरना प्रदर्शन और त्योहारों को देखते हुए धारा 144 लगाई जा रही है। लखनऊ में धरना प्रदर्शन के लिए जगह निर्धारित है, लेकिन कोई न कोई गुट आए दिन विधानसभा की तरफ पहुंचने का प्रयास करता है। रोड जाम या सड़क पर प्रदर्शन से लोगों को दिक्कत होती है। हालात नियंत्रण में रखने के लिए यह धारा लगाई गई है।

- पीयूष मोर्डिया, ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर