- 28 फरवरी को होगा सजा पर सुनवाई

- यूपी पुलिस ने किया बर्खास्त तो हाईकोर्ट से बर्खास्तगी हुई थी रद

- सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्तगी रद करने के निर्णय पर लगाई थी रोक

LUCKNOW : राजधानी में हुए सनसनीखेज माज हत्याकांड में आखिरकार कोर्ट ने बर्खास्त इंस्पेक्टर संजय राय समेत सात आरोपियों को दोषी करार दिया। स्पेशल जज पीसी एक्ट कोर्ट स्वप्ना सिंह ने सजा पर सुनवाई के लिये 28 फरवरी की तिथि मुकर्रर की है। उल्लेखनीय है कि जमानत पर रिहा होने के बाद यूपी पुलिस ने इंस्पेक्टर संजय राय को बर्खास्त कर दिया था। लेकिन, हाईकोर्ट ने उसे राहत देते हुए बर्खास्तगी को रद करते हुए उसका निलंबन जारी रखने का आदेश दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए उसकी बर्खास्तगी बहाल रखी गई थी।

यह थी घटना

बीती 29 मई 2013 को इंदिरानगर के फरीदीनगर में तीन अज्ञात शूटर्स ने हुस्न बानो के मकान में घुसकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर 14 वर्षीय माज अहमद की हत्या कर दी थी। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि इस हत्याकांड के पीछे तत्कालीन ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल के प्रभारी इंस्पेक्टर संजय राय का हाथ है। विस्तृत विवेचना के बाद पुलिस ने संजय के नौकर रामबाबू उर्फ छोटू, राहुल राय, अजीत राय, सुनील सैनी उर्फ पहलवान, संजय के भाई अजय राय, राकेश कुमार सोनी और राहुल राय व अजीत यादव उर्फ बंटी यादव को अरेस्ट किया था।

प्रेम प्रसंग में असफल रहने पर करवाई हत्या

स्पेशल जज ने अपने आदेश में कहा कि तमाम साक्ष्यों के आधार पर यह साबित हो गया कि संजय राय ने ही ट्रेनी इंस्पेक्टर के साथ अपने असफल प्रेम प्रसंग की वजह से अन्य अभियुक्तगण के साथ मिलकर हत्या कारित की। इस आधार पर कोर्ट ने संजय राय के अलावा रामबाबू उर्फ छोटू, अजीत राय उर्फ सिंटू, राहुल राय, सुनील कुमार सैनी उर्फ पहलवान, संदीप राय और राकेश कुमार सोनी को दोषी करार देते हुए सजा पर सुनवाई के लिये 28 फरवरी की तिथि निर्धारित की।

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सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्तगी रद करने पर लगाई थी रोक

हत्याकांड के खुलासे के बाद डीजीपी ने आरोपी संजय राय को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। लेकिन, आरोपी संजय राय इसके खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। जहां 28 सितंबर 2016 को हाईकोर्ट ने उसे राहत देते हुए उसकी बर्खास्तगी को रद कर दिया। हालांकि, इसके बाद उसका निलंबन जारी रखने के आदेश दिये थे। हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जहां न्यायमूर्ति मदन बी लकूर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने हाईकोर्ट के उसकी बर्खास्तगी के आदेश को रद करने पर रोक लगा दी थी।