लखनऊ (ब्यूरो)। मडिय़ांव के पलटन छावनी स्थित ट्यूबवेल पार्क में कई स्ट्रीट डॉग्स की जहर देकर हत्या कर दी गई। सोमवार सुबह मडिय़ांव में रहने वाली रिचा सिंह ने पुलिस के साथ-साथ नगर निगम को इसकी सूचना दी। रिचा ने बताया कि पार्क में पांच स्ट्रीट डॉग्स की मौत हो गई जबकि पांच गंभीर हालत में तड़प रहे हैं। पुलिस, नगर निगम व पशु चिकित्सा विभाग को सूचना देने के बाद घंटों तड़प रहे स्ट्रीट डॉग्स का इलाज व मदद करने कोई नहीं पहुंचा। पेट लवर्स एसोसिएशन के मेंबर्स वहां पहुंचे और तड़प रहे स्ट्रीट डॉग्स को न्यू हैदराबाद स्थित पशु चिकित्सालय में भर्ती कराया। बाद में कुल मृत डॉग्स की संख्या सात हो गई। सभी के शवों को पोस्टमार्टम के लिए बीकेटी स्थित पशु चिकित्सालय भेजा गया।

ट्यूबवेल पार्क में ही रहते थे

ट्यूबवेल पार्क के पास एक दर्जन से ज्यादा स्ट्रीट डॉग रहते थे। मडिय़ांव में रहने वाली पेट लवर व वकील रिचा सिंह ने सोमवार सुबह देखा कि कई स्ट्रीट डॉग्स मृत पड़े है जबकि पांच जहर के चलते तड़प रहे थे और उनकी हालत गंभीर थी, जबकि दो का पता नहीं चल सका। आरोप है कि किसी ने पार्क में रहने वाले स्ट्रीट डॉग्स को जहर देकर उनकी हत्या की साजिश रची थी। रिचा की तहरीर पर मडिय़ांव पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 429 और पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 11 के तहत केस दर्ज किया है।

करते रहे कॉल, नहीं पहुंची मदद

रिचा सिंह ने तड़प रहे डॉग्स की मदद के लिए पशु चिकित्सा विभाग के साथ-साथ पुलिस व नगर निगम से मदद मांगी। दिन पर वह कॉल करती रहीं लेकिन हर विभाग एक दूसरे पर पल्ला झाड़ता रहा। आखिर में उन्होंने पेट लवर्स एसोसिएशन के साथ-साथ कामना पांडेय से संपर्क किया। पेट लवर्स की टीम ने मौके पर पहुंच कर तड़प रहे डॉग्स को इलाज के लिए तत्काल न्यू हैदराबाद स्थित पशु चिकित्सालय में भर्ती कराया।

नहीं हुआ शवों का पोस्टमार्टम

पेट लवर्स एसोसिएशन की दिन भर की मेहनत के बाद भी सोमवार देर शाम तक डॉग्स के शवों का पोस्टमार्टम नहीं हो सका। कामना पांडेय का कहना है कि डॉग्स के शवों को बीकेटी भेज दिया गया लेकिन वहां उनको रिसीव तक करने वाला कोई नहीं था। देर शाम मुख्य चिकित्सा अधिकारी कि तरफ से पशु चिकित्सा अधिकारी गुडंबा, चिनहट और काकोरी को उनके शवों का पोस्टमार्टम कराने का आदेश जारी किया गया।

क्या है पशु क्रूरता अधिनियम?

अगर कोई पशु मालिक स्वयं के पशु को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं करवाता है या उसे भूखा-प्यासा रखता है या बीमार होने पर उसे भगा देता है या पागल होने पर डॉग जैसे जानवरों को मरवा देता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता के अपराध का दोषी होगा।

अधिनियम में कितनी सजा है?

ऐसी स्थिति में व्यक्ति को 3 साल के कठोर कारावास और 10,000 का आर्थिक दंड देने का प्रावधान है। यदि अपराध को दोहराया जाए तो 7 साल की सजा और 25,000 रुपये आर्थिक दंड देने का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी ने जानवर को जहर दिया, जान से मारा, कष्ट दिया तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही कुछ जुर्माने का भी प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के अनुसार, जो भी कोई किसी हाथी, ऊंट, घोड़े, खच्चर, भैंस, सांड़, गाय या बैल को, चाहे उसका कुछ भी मूल्य हो, या पचास रुपए या उससे अधिक मूल्य के किसी भी अन्य जीवजन्तु का वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने द्वारा कुचेष्टा करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे पांच वर्ष तक हो सकती है।

पुलिस द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद मौके पर एक गाड़ी भेजी गई थी। उस गाड़ी से मृत स्ट्रीट डॉग्स के शवों को ले जाया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर जांच कराने की जिम्मेदारी पशु पालन विभाग की है। इसमें नगर निगम की कोई जिम्मेदारी नहीं है।

-डॉ। अरविंद राव, संयुक्त निदेशक, पशु कल्याण

सोमवार सुबह स्ट्रीट डॉग्स के मर्डर की सूचना पुलिस विभाग, नगर निगम और पशु पालन विभाग को दी गई। दिन भर घायल डॉग्स की मदद के लिए सभी डिपार्टमेंट्स को कॉल किया जाता रहा, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं पहुंचा।

-कामना पांडेय, पेट लवर