-सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला

-दो अन्य आरोपियों रामनरेश व वीरेंद्र शुक्ला को दो-दो साल की सजा

-सुबूतों के अभाव में दो को कोर्ट ने किया बरी

-2010 में लगे थे तत्कालीन विधायक पर आरोप

LUCKNOW: बांदा के बहुचर्चित शीलू रेप कांड में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बीएसपी के पूर्व विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी को क्0 साल कारावास की सजा सुनाई है। क्7 साल की नाबालिग किशोरी के साथ रेप केस में सजा सुनाते हुए स्पेशल कोर्ट के जस्टिस वी के श्रीवास्तव ने दोषी पुरुषोत्तम पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। ख्0क्0 में प्रदेश में तूफान लाने वाले रेप केस के पांच आरोपियों में से दो और रामनरेश और वीरेंद्र शुक्ला को भी दो-दो साल के कैद की सजा सुनाई है। वहीं, सुबूतों के अभाव में कोर्ट ने केस के दो और आरोपियों राजेश शुक्ला और सुरेश नेता को बरी कर दिया। ख्0क्क् से सलाखों में बंद पुरुषोत्तम द्विवेदी के खिलाफ क्फ् लोगों ने गवाही दी थी।

बंधक बनाकर किया था रेप

बांदा की एक किशोरी नीलू निषाद ने बांदा के तत्कालीन बसपा एमएलए और साथियों पर दिसंबर, ख्0क्0 में बंधक बनाकर बलात्कार का आरोप लगाया था। इस आरोप लगाने के बाद लड़की को चोरी करने के झूठे आरोप में जेल भिजवा दिया गया था। मीडिया में मामला तूल पकड़ने के बाद बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने पुरुषोत्तम द्विवेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और पूरे मामले की सीबीसीआईडी से जांच के आदेश दिये थे। बाद में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मामले की जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया था। सीबीआई ने शुरुआती जांच में ही पीडि़ता पर लगे चोरी के आरोप को निराधार बताया और पुरुषोत्तम द्विवेदी के खिलाफ रेप के मामले में ख्0क्ख् में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। मामले की सीबीआई की विशेष अदालत में ख्भ् मई को सुनवाई पूरी हुई थी।

पहले लगाया था चोरी का आरोप

शीलू ने कोर्ट में बताया था कि वह पथरा में अपने चाची के घर थी। जहां से विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी खुद जाकर उसे अतर्रा ले गये। विधायक ने शीलू के पिता अच्छेलाल से कहा था कि वह उसे अपने घर में साफ सफाई के लिए रखेगा और उसकी शादी भी करा देगा। विधायक ने शीलू से उसकी शादी नौकर छेद्दी से कराने का प्रस्ताव रखा जिसे शीलू ने ठुकरा दिया। शीलू ने कोर्ट में बयान दिया था कि इसके बाद विधायक ने उसके साथ दुष्कर्म किया। वह किसी तरह से वहां से भागी और एक दूसरे गांव में शीलू ने पनाह ली। जहां पुरुषोत्तम द्विवेदी के गुर्गो ने पहुंच कर उसे पकड़ लिया और मारा पीटा। उसे बेहोशी की हालत में लेकर अतर्रा थाने पहुंचे। विधायक के बेटे मयंक ने शीलू पर चोरी का आरोप लगाया था। क्ब् दिसंबर ख्0क्0 को मयंक ने एफआईआर दर्ज करायी थी कि शीलू घर से उनका मोबाइल, कुछ कपड़े और पांच हजार रुपये चोरी कर भाग गयी है। मयंक की तहरीर पर अतर्रा पुलिस ने शीलू को जेल भेज दिया। लेकिन कोर्ट में पहुंच कर शीलू ने पूरी हकीकत महिला जज के सामने बतायी तो विधायक की असली करतूत का खुलासा हुआ।

पुलिस ने मेडिकल तक नहीं कराया

शीलू ने कोर्ट में बयान दिया था कि विधायक के इशारे पर उसे जेल भेज दिया गया। पुलिस ने उसका मेडिकल तक कराना जरूरी नहीं समझा। एक महीने तक जेल में रखे जाने के दौरान उसे उसके बाप और भाई से भी नहीं मिलने दिया गया।

बचाव में क्या कहा पुरुषोत्तम ने

अपने बचाव में कोर्ट में पुरुषोत्तम ने कहा कि मैं बेकसूर हूं। मुझे राजनैतिक रंजिशों के कारण फंसाया जा रहा है। पुरुषोत्तम ने कोर्ट में कहा था कि जो भी गवाह पेश किये गये हैं वह सभी सीबीसीआईडी, सीबीआई और विरोधियों के दबाव में आकर हमारे विरोध में बयान दे रहे हैं।

क्या मिली सजा

कोर्ट ने ख्भ् मई को सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले में कोर्ट ने कहा कि थाने से कोर्ट के बीच ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी जिसमें पीडि़ता अपनी बात किसी को बता सके। उसे जैसे ही मौका मिला उसने अपनी आप बीती सुनाई। कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों को दरकिनार करते हुए पुरुषोत्तम द्विवेदी को शीलू के साथ रेप का दोषी पाया। सजा के मामले में पुरुषोत्तम के वकील ने कहा कि अभियुक्त चार साल से जेल में है। उसकी किडनी ट्रांसप्लांट हो चुकी है और शरीर से कमजोर हैं ऐसे में इन्हें कम से कम सजा दी जानी चाहिए। इसके जवाब में सीबीआई के वकील ने कहा कि अपराध गंभीर है, अभियुक्त द्वारा इस प्रकार का कुकृत्य किया गया है जो किसी भी दशा में जन सेवक के लिए उचित नहीं था। ऐसे में अभियुक्त को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त पुरुषोत्तम द्विवेदी घटना के समय विधानसभा नरैनी के विधायक थे। इन्होंने पीडि़ता का अपने प्रभाव में लेकर उसके साथ दुष्कर्म किया। समाज सेवक के रूप में अभियुक्त का यह कारनामा सामान्य व्यक्ति के इस तरह के अपराध से ज्यादा गंभीर है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून बनाने वाले अगर इस तरह के अपराध करें जो समाज के लिए घातक हो तो मेरी राय में ऐसी अपराधी को कम सजा से दंडित किया जाना न्याय संगत नहीं होगा। ऐसे में अदालत अभियुक्त पुरुषोत्तम द्विवेदी को धारा फ्7म् का दोषी साबित करते हुए क्0 साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। इसमें से भ्0 हजार रुपये पीडि़त शीलू निषाद को देना होगा। इसके अलावा फ्ख्फ् और फ्भ्ब् के दोषी पाये गये रामनरेश द्विवेदी और वीरेंद्र कुमार शुक्ला को आईपीसी की धारा फ्ख्फ् के जुर्म में एक एक साल और फ्भ्ब् के जुर्म में ख्-ख् साल की कैद सुनाई है।