लखनऊ (ब्यूरो)। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में तैयारियां अंतिम चरणों में हैं, जहां झांकियों को सजाया जा रहा है। वहीं, बाजारों में भी रौनक बढ़ गई है। कृष्ण भक्त वस्त्र, मुकुट, बांसुरी, मूर्ति, पलना, झूला आदि की खरीदारी कर रहे हैं। इस बार मुंबई, सूरत आदि शहरों से श्रीकृष्ण के लिए वस्त्र और पालना मंगाए गए हैं, जो बेहद खूबसूरत और आकर्षक हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे

जन्माष्टमी को लेकर पुलिस लाइन में रंगाई-पुताई का काम पूरा हो चुका है। साथ ही आकर्षक झांकी भी सजाई जा रही है। गुरुवार शाम 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। वहीं, गणेशगंज की डिजिटल मूविंग झांकी सात सितंबर को सजेगी। यहां छह दिनों तक विभिन्न लीलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। कृष्णजी की छठी के साथ 12 सितंबर को समापन होगा। साथ चंद्रयान की सफलता को लेकर एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है, जबकि डालीगंज के श्रीमाधव मंदिर में छह को जन्माष्टमी मनाई जायेगी। इसके अलावा इस्कॉन मंदिर में 7 को जन्माष्टमी मनाई जायेगी।

डिजायनर झूलों की डिमांड

अमीनाबाद, आलमबाग, कपूरथला, आशियाना, भूतनाथ आदि सभी बाजारों में देर रात तक जन्माष्टमी को लेकर खरीदारी की जा रही है। इस बार आए डिजायनर झूलों की कीमत 250 रुपए से 5 हजार रुपए तक है। वहीं, ज्वेलर्स के यहां कान्हा के चमकीले पत्थरों वाले मोर मुकुट की कीमत 20 हजार रुपए के करीब है। मार्केट में लकड़ी व मेटल के भी पालना मिल रहे हैं।

आए रंग-बिरंगे कपड़े

जन्माष्टमी पर बाल गोपाल के लिए तरह-तरह के डिजायनर वस्त्र भी बाजार में उपलब्ध हैं। इनकी कीमत 50 रुपए से शुरू है। इनका रेट साइज और डिजाइन के हिसाब से बढ़ता जाता है। वहीं, जरीदार और गोटेवाले वस्त्र की प्रारंभिक कीमत 250 रुपए के करीब है, जिनकी काफी डिमांड है। वहीं, नगों व मोतियों से सजी पगड़ी की शुरुआत 100 रुपये से हो रही है। राजस्थानी मीनाकरी वाले वस्त्रों की शुरुआत 150 रुपये से लेकर 3 हजार रुपये तक मिल रहे हैं।

कई तरह की मूर्तियां

जन्माष्टमी में झांकी सजाने के लिए लोग श्रीकृष्ण और लड्डू गोपाल की मूर्तियां भी खरीदते हैं। इनकी शुरुआती कीमत वजन और साइज के अनुसार 300 रुपये से शुरू होकर हजारों में है। मूर्तियां इसबार वाराणसी, मथुरा और मुंबई से मंगवाई गई हैं। पीतल की मूर्तियों की इस बार अधिक सेल हो रही है।

अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र मिलने से बन रहा शुभ संयोग

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष 6 सितंबर दिन बुधवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पुनीत पर्व मनाया जाएगा। इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय ने दी।

जन्माष्टमी पर बन रहा दुर्लभ संयोग

इस वर्ष जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण बुधवार को सप्तमी तिथि रात्रि 7:57 तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि प्रारंभ होकर दूसरे दिन गुरुवार की शाम 7:51 तक रहेगी व रोहिणी नक्षत्र दिवा 2:39 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन गुरुवार को दिवा 3:07 तक रहेगी इसलिए बुधवार को अर्धरात्रि के समय अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग मिलने के कारण जयंती योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत व जन्मोत्सव मनाया जाएगा, जो अत्यंत मंगलकारी है। वैष्णव जन के लिए जन्माष्टमी का व्रत उदया तिथि अष्टमी एवं रोहिणी का संयोग अर्ध रात्रि में यह योग नहीं रहेगा। फिर भी उदया तिथि को मानने वाले वैष्णवजन जन्माष्टमी का व्रत 7 सितंबर गुरुवार को मनाएंगे।

इस तरह करें पूजन

पूरे दिन व्रत करते हुए शाम को भगवान श्रीकृष्ण की झांकी सजाकर बाल स्वरूप मूर्ति पालने में रखें। इसके बाद मध्यरात्रि के पहले गौरी गणेश, वरुण का आवाहन व पूजन करते हुए मध्यरात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के साथ आवाहन कर विधवत पूजन करें। इसके बाद श्री कृष्ण की स्तुति करें व रात्रि जागरण करना चाहिए। वहीं, पंचामृत बनाकर भोग लगाकर सभी को प्रसाद दें।