- पैरेंट्स ही बच्चों को स्कूल से लेने और छोड़ने जा रहे
- अभी स्कूलों ने स्कूली वाहन फैसिलिटी शुरू नहीं की
LUCKNOW इंदिरानगर में रहने वाले नरेंद्र एक सरकारी विभाग में कार्यरत हैं। रोज उन्हें अपने बॉस को मैसेज भेजना पड़ता है, जिसमें लिखा होता है, सर, ऑफिस एक घंटे लेट आऊंगा, बच्चे को स्कूल छोड़ने जाना है। दोपहर में फिर से बॉस को जानकारी दी जाती है कि सर, अभी बच्चे को स्कूल से घर छोड़कर आ रहा हूंयह सिर्फ एक उदाहरण है लेकिन हकीकत यह है कि इस समय पैरेंट्स के सामने कुछ ऐसी ही चुनौतियां सामने आ रही हैं।
खुल चुके हैं स्कूल
कोविड केस थमने के बाद क्लास 6 से 12वीं तक के स्कूल खुल गए हैं। स्कूल दो शिफ्टों में चल रहे हैं। एक मॉर्निग शिफ्ट और दूसरी दोपहर की शिफ्ट। अभी कई स्कूलों में एक ही शिफ्ट में पढ़ाई चल रही है। स्कूलों की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि पैरेंट्स ही बच्चों को स्कूल छोड़ेंगे और वही ले भी जाएंगे। जिसके चलते पैरेंट्स को दोनों शिफ्टों में स्कूल जाकर बच्चों को लाना पड़ रहा है।
पैरेंट्स का शेड्यूल डिस्टर्ब
स्कूल से बच्चों को लाने और छोड़ने के चलते पैरेंट्स का शेड्यूल डिस्टर्ब हो गया है। खासकर वो पैरेंट्स ज्यादा परेशान हैं, जो ऑफिस गोइंग हैं। उन्हें अपने ऑफिस से कुछ देर के लिए लीव लेनी पड़ती है, जिससे वे अपने बच्चों को स्कूल छोड़ सकें और दोपहर में ला सकें।
बाक्स
पैरेंट्स के सुझाव
1- स्कूल वाहन की सुविधा मिले
2- स्कूली वाहन में फिजिकल डिस्टेंसिंग
3- स्कूली वाहन ड्राइवर वैक्सीनेटेड हो
4- ड्राइवर और बच्चे प्रॉपर मास्क कैरी करें
5- स्कूली वाहन प्रॉपर सेनेटाइज्ड हों
बोले पैरेंट्स
कोविड के चलते स्कूली वाहन की सुविधा नहीं शुरू की गई है। स्कूल प्रबंधन चाहे तो सुरक्षा संबंधी बिंदुओं को ध्यान में रखकर सुविधा दी जा सकती है।
अमित मिश्रा
बच्चे को स्कूल से लाना और छोड़ने जाना पड़ता है। इसकी वजह से शेड्यूल प्रभावित हुआ है। स्कूल वाहन शुरू हो जाए तो राहत मिल सकती है।
हेमंत
कई बार ऑफिस में जरूरी कामकाज निपटाने में फंस जाते हैं। ऐसे में बच्चे को स्कूल से लाने की टेंशन बनी रहती है।
रचना