- 38 वर्ष बाद बन रहा पूर्णिमा व अमावस्या का योग

- 16 दिनों तक नहीं कर सकते है कोई शुभ काम

LUCKNOW: श्राद्धपक्ष के 16 दिनों में पितृों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण श्राद्ध पिंडदान आदि कर्म किया जाता है। पितृपक्ष सोमवार 28 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होकर सोमवार 12 अक्टूबर अमावस्या तिथि पर खत्म होगा। वषरें बाद पितृपक्ष का प्रारंभ खग्रास चंद्र ग्रहण से होगा। शास्त्रों में पितृ को पितृदेव कहा जाता है। पितृपक्ष में पितृ की विधिवत शांति करने से पितृगण शुभाशीष देकर वंश वृद्धि करेंगे। इस वर्ष किए गए पितृ पूजन से परिवार में सुख शांति, धन धान्य, यश वैभव, लक्ष्मी हमेशा बनी रहेगी। जो लोग संतानहीनता से पीडि़त हैं। पितृदोष की शांति से संतान सुख होगा। इस वर्ष श्राद्धपक्ष में किए गए विशेष उपाय से पितृदोष से संपूर्ण मुक्ति मिलेगी।

एक मिनट का होगा चंद्र ग्रहण

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चंद्रग्रहण सूर्य व चंद्रमा के राहू व केतू की युति से होता है। सूर्य व राहु की युति 17 सिंतबर हो चुकी है। चंद्रमा से केतू की युति 27 सिंतबर से हो रही है। चंद्रग्रहण मात्र पश्चिमी गुजरात के द्वारका पोरबंदर व भुज क्षेत्र में दिखाई देगा। भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार चंद्रग्रहण द्वारका क्षेत्र में मार्निग 6 बजकर 38 मिनट व 31 सेकेंड से प्रारंभ होकर चंद्रास्त रे साथ मार्निग 6 बजकर 39 मिनट व 17 सेकेंड पर खत्म होगा।

पितृकर्म से पंचकोटी फल होता है प्राप्त

श्राद्ध संबंधित शास्त्र पद्म पुराण, लिंग पुराण, मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण व मदन पारीजात के अनुसार जब कभी पितृपक्ष के दौरान सूर्य व राहू और सूर्य और केतु की युति होती है। सूर्य पर राहू और केतू की दृष्टि पड़ती है तो गज छाया योग निर्मित होता है। गज छाया योग में पितृकर्म श्राद्धकर्म, तर्पण कर्म, पिण्डकर्म व पितृकर्म करने से पंचकोटी फल प्राप्त होता है। गज छाया में पितृकर्म करने से पितृगण को शांति प्राप्त होती है।

1977 में बना था ऐसा योग

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वषरें बाद चंद्रग्रहण संपूर्ण गज छाया योग के साथ पूर्णिमा व अमावस्या तिथियों का योग बन रहा है। इससे पहले भी चंद्रग्रहण के साथ पितृपक्ष मंगलवार 27 सिंतबर 1977 में पड़ा था। वर्ष 1977 में पितृपक्ष के 16 दिनों में दो ग्रहणों के योग भी बने थे। इस वर्ष वषरें बाद 27 सिंतबर को पूर्णिमा तिथि पर 12 अक्टूबर को अमावस्य तिथि पर संपूर्ण गज छाया योग बन रहे हैं।