- राजधानी के उपभोक्ताओं के मीटर तेज चलने की रिपोर्ट ही दबाए रहे अफसर

- प्रकरण का खुलासा होने पर 15 दिन में उच्च स्तरीय जांच कराने का फैसला

- दोषी अफसरों-कंपनी के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश भी दिए ऊर्जा मंत्री ने

रुष्टयहृह्रङ्ख : स्मार्ट मीटर की री¨डग ही जंप नहीं करती बल्कि वह कई गुना तेज भी चलते मिले हैं। राजधानी लखनऊ में स्मार्ट मीटर 30 गुना तेज चलते पाए गए, लेकिन इसकी जांच रिपोर्ट को दबाए रखा गया। सालभर बाद पूरे प्रकरण का खुलासा होने पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने गंभीर रुख अपनाते हुए उच्च स्तरीय जांच कराने का फैसला किया है। अपर मुख्य सचिव ऊर्जा व पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष को पूरे मामले की 15 दिन में जांच करा दोषी अफसरों व कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

वैसे तो स्मार्ट मीटर के तेज चलने की आए दिन उपभोक्ता शिकायत करते रहते हैं, लेकिन अब तक ऐसी कोई जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई कि स्मार्ट मीटर तेज चलता पाया गया हो। वर्ष 2018 में जब राजधानी के ठाकुरगंज, अपट्रान सहित कुछ क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगने शुरू हुए थे तब मीटर तेज चलने की शिकायत पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने मीटरों की जांच कराने का मामला नियामक आयोग में उठाया था। उस पर पिछले वर्ष मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने लेसा को कुछ उपभोक्ताओ के स्मार्ट मीटर के साथ चेक मीटर लगाकर यह देखने के लिए कहा कि कहीं पुराने मीटर की अपेक्षा स्मार्ट मीटर तेज तो नहीं चल रहे.परिषद अध्यक्ष का कहना है कि तब स्मार्ट मीटर 30 गुने तक तेज चलते पाए गए लेकिन उच्चाधिकारियों ने रिपोर्ट को रफादफा कर उपभोक्ताओं के मीटर ही बदल दिए।

वर्मा ने मीटर तेज चलने की एक वर्ष बाद रिपोर्ट हाथ लगते ही सोमवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से शक्तिभवन मुख्यालय में मुलाकात की। तथ्यों के साथ मंत्री को रिपोर्ट सौंपते हुए परिषद अध्यक्ष ने प्रकरण की जांच करा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष अर¨वद कुमार को पत्र लिख उपभोक्ता हित में पूरे मामले की जांच, उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर कराने के निर्देश दिए हैं।

मंत्री ने माना कि उपभोक्ताओं के यहां चेक मीटर लगाने के बाद कई गुना बढ़ी हुई यूनिट पकड़ में आने के बावजूद पूरे मामले को उच्च स्तर पर न भेजना और प्रकरण को दबाए रखना अत्यंत खेद जनक व उपभोक्ता हित के विरूद्ध एवं अक्षम्य है। ऐसे में मंत्री ने जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों व स्मार्ट मीटर कंपनी के खिलाफ 15 दिन में कठोर कार्रवाई कर रिपोर्ट भी तलब की है।