- मेडिसिन विभाग में संविदा पर कर रहा था नौकरी

- 59 दिनों के लिए की गई थी डॉ। सचिन की तैनाती

LUCKNOW : कानपुर से बीते बुधवार को पकड़े गए नीट सॉल्वर गैंग से पूछताछ में अहम खुलासे हुए हैं। पूछताछ में गैंग के सदस्यों ने बताया कि वह एग्जाम पास कराने का पूरा ठेका आठ से 10 लाख रुपये में लेते थे। यूपी कैटेट के सॉल्वर को 25 हजार और नीट के सॉल्वर को एक बार में एक लाख रुपये दिए जाते थे। हालांकि पुलिस का मानना है कि नीट का ठेका 20 से 30 लाख में उठता है।

लोहिया कैंपस में खलबली

नीट परीक्षा सॉल्वर गैंग का सरगना लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में नौकरी कर रहा था। कानपुर पुलिस के हत्थे चढ़े डॉक्टर को लेकर कैंपस में खलबली मच गई। साथी जूनियर डॉक्टर भी उसकी करतूतों को लेकर घबरा गए। वहीं अफसरों ने तत्काल प्रभाव से उसकी सेवाएं समाप्त कर दीं।

सरगना है डॉ। सचिन

कानुपर में डॉ। सचिन मौर्या को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक डॉ। सचिन नीट सॉल्वर गैंग का सरगना है। लोहिया संस्थान में डॉक्टर की तैनाती सुन डॉ। सचिन मौर्या का रिकॉर्ड खंगाला गया। वह मेडिसिन विभाग में संविदा पर बतौर जूनियर डॉक्टर तैनात मिला। संस्थान के प्रवक्ता डॉ। श्रीकेश के मुताबिक डॉ। सचिन की नियुक्ति 59 दिनों के लिए की गई थी। गुरुवार को उसकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।

विभाग में खामोशी से करता था नौकरी

डॉ। सचिन मौर्या के बारे में संस्थान के कम चिकित्सक ही जानते थे। उसके साथ विभाग में काम कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक वह ड्यूटी के दरम्यान शांत रहता था। स्टाफ से भी उसकी बातचीत कम होती थी। यह ऐसे कामों में संल्पित है, किसी ने सोचा भी नहीं था।

कई और हैं राडार पर

कानपुर में पकड़े गए सॉल्वर गैंग ने नीट (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) और यूपी कैटेट (यूपी संयुक्त कृषि और प्रौद्योगिकी प्रवेश परीक्षा) में भी सेंधमारी की है। इन परीक्षाओं में सॉल्वर बैठाकर परीक्षा दिलवाने वाले गिरोह सात आरोपितों को बजरिया, नवाबगंज और कल्याणपुर पुलिस की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों में दो डॉक्टर भी हैं। वहीं कई अभी राडार पर हैं।

लखनऊ के डॉक्टरों का पुराना कनेक्शन

मेडिकल प्रवेश परीक्षा सेंधमारी में लखनऊ का कई बार नाम चर्चा में रहा। पहले सीपीएमटी गड़बडी में केजीएमयू के डॉक्टरों का नाम आया। इसके बाद एमपी के व्यापम में भी केजीएमयू के छात्रों का नाम जुड़ा। जांच एजेंसी ने वर्ष 2013-14 में दर्जनभर के करीब छात्रों को कैंपस से उठाया था। इसमें एक छात्रा आत्महत्या भी कर चुकी है।