लखनऊ (ब्यूरो)। तीन से पांच साल कीेउम्र के बच्चों में बढ़ रहे कुपोषण से निपटने में मिलेट्स का पाउडर कारगर साबित हो सकता है। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाली टेरासिन फूड कॉरपोरेशन और इंडिया मिलेट्स कंपनी की फाउंडर डॉ। सोनम काप्से ने एक ऐसा ही पाउडर तैयार किया है। डॉ। सोनम का कहना है कि यह पाउडर माइक्रो न्यूट्रियंट्स फोर्टिफाइड है। वह कहती हैं कि हमने ऐसा पाउडर तैयार किया है जिसमें मिलेट्स हैं साथ ही बच्चों की ग्रोथ के लिए जरूरी पोषक तत्वों के साथ कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व फैट का बैलेंस है, ताकि बच्चा उसे खाकर पचा सके और उसकी ग्रोथ हो सके। शुक्रवार को आईआईटीआर में शुरू हुए दो दिवसीय विमिन इन अकेडमिया, रिसर्च एंड मैनेजमेंट ऑफ फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिकॉलजी डब्ल्यूएआरएम-एफओएसटी में अपने काम के बारे में जानकारी दी।

फेमेन से हो सकेगी एनीमिया दूर

डॉ। सोनम काप्से ने बताया कि स्प्राउटेड मिलेट्स पाउडर के अलावा हमने महिलाओं में एनीमिया को दूर करने के लिए फेमेन पाउडर भी बनाया है। इस पाउडर में मल्टीमिलेट्स और मल्टीपल्सेस के साथ खजूर का भी यूज किया गया है। जिन महिलाओं को एनीमिया या पीरियड्स में प्रॉब्लम है, उन्हें इससे काफी मदद मिल रही है।

ट्राइबल महिलाओं संग कर रहीं काम

डॉ। सोनम अपने मिलेट्स प्रोडक्ट के लिए ट्राइबल महिलाओं, किसानों और दिव्यांगों के साथ काम कर रही हैं। उनका कहना है कि हम लोग मिलेट्स से ग्लोबली भी कई प्रोडक्ट और डिश तैयार कर रहे हैं। इसमें मैक्सिकन, इटेलियन, फ्रेंच डिशेज भी शामिल हैं। सारा काम हमारे साथ जुड़ी ट्राइबल महिलाएं संभाल रही हैं। हमसे 6 तरीके के दिव्यांग जुड़े हुए हैं।

घर पर भी बना सकते हैं स्प्राउटेड पाउडर

डॉ। सोनम कहती हैं कि रागी का इस्तेमाल कर घर पर भी स्प्राउटेड पाउडर बनाया जा सकता है। इसके लिए रागी, हॉर्सग्राम या कुल्थी की दाल के साथ बादाम को घी में भून लेना है। इसके बाद उसमें गुड़ मिला कर बच्चों को दिया जा सकता है। रागी हाई न्यूट्रियंट होता है। इसमें आयरन व फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में मिलता है। इसे बच्चों को देने से उनकी ग्रोथ बेहतर होती है।

मुंह के कैंसर पर भी किया है काम

डॉ। सोनम काप्से ने कैंसर जेनेटिक पर भी काम किया है। यूनिसेफ के साथ मिलकर कई रिसर्च भी की हैं। उन्होंने बताया कि हमारी क्लीनिकल रिसर्च के मुताबिक, मुंह के कैंसर की शुरुआती स्टेज में हल्दी काफी फायदेमंद है। इसमें पाए जाने वाले कुरकुमिन से काफी लाभ मिलता है।

स्वदेशी कीट नियंत्रण किट विकसित की

कीट नियंत्रण मशीनों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए सीएसआईआर सेंट्रल साइंटिफिक इंस्टिट्यूट ऑर्गनाइजेशन, चंडीगढ़ की वैज्ञानिक डॉ। सुमन सिंह ने कीट नियंत्रण किट विकसित की है। डॉ। सुमन ने बताया कि इस किट का इस्तेमाल फूड एक्सपोर्ट के चेक पॉइंट्स पर किया जा सकता है। यह भोजन से कीटों के बारे में तुरंत जानकारी दे सकती है। मौजूदा समय में इन किटों को कृषि उपज की बड़ी प्रयोगशालाओं में भेजा जा रहा है। यह किट छोटे आकार में है और खरीदने के लिए सस्ती दर पर उपलब्ध भी है। इसे पेटेंट करा लिया गया है और जल्द लॉन्च किया जाएगा।

इंटीग्रेटेड फार्मिंग में मिल रही सफलता

कर्नाटक के रायचूर जिले के कविताल गांव की महिला किसान कविता मिश्रा किसानी के साथ हार्टिकल्चर व एनिमल हसबेंडरी और एग्रोफोरेस्ट्री के साथ इंटीग्रेटेड फार्मिंग करती हैं। कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने आठ एकड़ जमीन पर 2500 चंदन, 1000 आम, 800 टीक, 600 अमरूद, 600 सेब, 100 नारियल, 100 नींबू, 100 सहजन के पेड़ लगा रखे हैं। साथ में देसी गाय, मधुमक्खी पालन, भेड़ पालन और पोल्ट्री फार्म भी चला रही हैं।