लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ यूनिवर्सिटी के सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रोसेस के जरिए अलॉट हुए एफिलिएटेड कॉलेजों से स्टूडेंट्स खासे नाराज और परेशान हैं। स्टूडेंट्स का आरोप है कि हमने एक हजार रुपये का रजिस्ट्रेशन कराकर एलयू का फॉर्म भरा, एंट्रेंस एग्जाम दिया, लेकिन सेकंड व थर्ड काउंसलिंग में एफिलिएटेड कॉलेज अलॉट किए जा रहे हैं। स्टूडेंट्स अब परिसर में एडमिशन और रिफंड की भी डिमांड कर रहे हैं।

शेरवुड कॉलेज दे दिया गया

छात्र यशवंत का कहना है कि उन्होंने एलयू में दाखिले के लिए आवेदन किया था, लेकिन काउंसलिंग के बाद उन्हें शेरवुड कॉलेज दे दिया गया। उनका कहना है कि जब मैंने एलयू का फॉर्म भरा था, तो एफिलिएटेड कॉलेज का विकल्प नहीं भरा था। ऐसे में मुझे दाखिला मेन कैंपस में मिलना चाहिए था, लेकिन विवि ने ऐसा नहीं किया। एक तरफ कॉलेज अलॉट कर दिया गया, दूसरी तरफ अलॉटेड कॉलेज में दाखिला नहीं लेना है। अब चौथी काउंसलिंग के लिए कैसे जाएं। बीकॉम के लिए अप्लाई करने वाली छात्रा पूजा का कहना है कि एक तरफ एलयू चॉइस फिलिंग करवा रहा है। दूसरी तरफ उन्हें सहयुक्त कॉलेज अलॉट कर रहा है। कॉलेज में भी ज्यादातर कॉलेज प्राइवेट हैं। ऐसे में उनकी फीस भी ज्यादा है और पढ़ाई को लेकर भी संशय है। ऐसे में स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

पहले सूचना ही नहीं दी

लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ। मनोज पांडेय का कहना है कि एलयू की सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रॉसेस धनउगाही का नायाब तरीका है। इस प्रक्रिया से जुड़ने के लिए कॉलेज को प्रति विषय शुल्क देना पड़ता है। ऐसे में इस प्रक्रिया में शहर कई एडेड कॉलेज नहीं जुड़े। ज्यादातर प्राइवेट कॉलेज इस प्रक्रिया का हिस्सा बनें। दाखिले के दौरान भी स्टूडेंट्स को कॉलेजों की सूचना नहीं दी गई थी। एंट्रेंस से पहले यह लिस्ट वेबसाइट पर अपलोड की गई। शुरुआत से ही उनको पूरी जानकारी नहीं दी गई। ऐसे में अब यह समस्या बन रही है।