लखनऊ (ब्यूरो)। नई शिक्षा नीति के तहत शहर की यूनिवर्सिटीज में चल रहे कोर्सेज में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को लखनऊ यूनिवर्सिटी ने भी इंटीग्रेटेड एमटेक की डिग्री का फैसला लिया गया। इस फैसले के तहत एक साल से इंटीग्रेटेड एमटेक की डिग्री भी मिल सकेगी। इसके लिए बीटेक करने वाले स्टूडेंट्स को तीसरे साल में विकल्प देना होगा, बीटेक में 7.5 या उससे ऊपर सीजीपीए पाने वाले कैंडीडेट इसके लिए पात्र माने जाएंगे। इस कोर्स के तहत भी स्टूडेंट्स को मल्टीपल एंट्री व एग्जिट मिलेगी।

आसान होगी स्टूडेंट्स के लिए पढ़ाई

इंटीग्रेटेड डिग्री को शिक्षाविद भविष्य के तौर पर एक अच्छे विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। उनका मानना है कि इस तरह के मल्टीपल एंट्री व एग्जिट से पढ़ाई स्टूडेंट्स के लिए आसान होगी। एजुकेशनिस्ट प्रो। विवेक मिश्रा का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत एलयू समेत कई यूनिवर्सिटी कई बदलाव कर रही हैं। उनका कहना है कि इन डिग्री प्रोग्राम्स से स्टूडेंट्स को कई तरह के फायदे मिलते हैं। एक तरफ स्टूडेंट्स को बार-बार भटकना नहीं पड़ता है। इनका कोर्स डिजाइन ऐसा होता है कि स्टूडेंट्स का प्रोफेशनल डिवेलपमेंट बेहतर तरीके से होता है। इसके अलावा बीटेक में एडमिशन लेने के बाद वहीं से एमटेक करने में भी स्टूडेंट्स को आसानी होती है। उनकी ग्रोथ भी बेहतर होती है और कैम्पस नोन होने की वजह से उनको दूसरे तरह की परेशानियां भी नहीं होती हैं।

कोर्स पूरा करने पर बीटेक विद रिसर्च की डिग्री

एनईपी लागू होने से बीटेक स्टूडेंट्स को कई तरह के फायदे होते हैं। जैसे अगर स्टूडेंट पहले साल में कोर्स छोड़ता है तो उसे सर्टिफिकेट देने की व्यवस्था की गई है। दूसरे साल में छोड़ने पर डिप्लोमा और तीसरे साल में एडवांस डिप्लोमा और बीटेक की डिग्री पूरी करने पर बीटेक विद रिसर्च की डिग्री मिलेगी। इसके साथ ही स्टूडेंट एक साल के पीजी कोर्स के लिए भी अप्लीकेबल हो जाएगा।