लखनऊ (ब्यूरो)। लोहिया संस्थान के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी कर मरीज को दूसरा जीवन दिया। जहां महिला की पित्त की थैली से पथरी को निकाला गया, जो साइटस इनवर्सस टोटलिस से पीड़ित है। इसमें अंग अपने तय स्थान से अपोजिट जगह होते हैं, जिससे सर्जरी और जटिल हो जाती है। फिलहाल सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक है।
साइटस इनवर्सस टोटलिस का था केस
संस्थान प्रशासन के मुताबिक, मिशन पूरा हरदोई की रहने वाली कि 36 वर्षीय किरन यादव लंबे समय से पेट में बाईं तरफ दर्द से पीड़ित थी। जिसका उन्होंने कई जगह इलाज कराया, लेकिन दर्द से निजात नहीं मिली। जिसके बाद परिजन उनको लोहिया संस्थान के सर्जरी विभाग के डॉ। विकास सिंह को दिखाया। मरीज की जांच करने के उपरांत पता चला कि मरीज के पेट में बाईं तरफ पित्त की थैली है, जिसमें पथरियां बन गई हैं। सामान्यतया पित्त की थैली पेट के दाहिनी तरफ से लीवर के नीचे होती है। मरीज में सामान्यता बाएं पाए जाने वाले सभी अंग दाहिनी तरफ मिले एवं दाहिने पाए जाने वाले सभी अंग बाईं तरफ मिले। जिसकी पुष्टि एमआरआई स्कैन करवाकर भी की गई है। जन्मजात रूप से पायी जाने वाली यह स्थिति चिकित्सा विज्ञान में साइटस इनवर्सस टोटलिस के नाम से जानी जाती है। जो कि वैश्विक स्तर पर 10 हजार में से केवल एक व्यक्ति को होता है। इस प्रकार अंगों की बदली हुई स्थिति की परंपरागत तरीके से स्थापित सर्जरी की विधियों को और जटिल बनाती है।
सफल सर्जरी की गई
डॉ। विकास ने बताया कि मरीज की उम्र को देखते हुए नाभि के रास्ते से परंपरागत दूरबीन के उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए केवल एक चीरे से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। जिसके फलस्वरूप मरीज के पेट पर कोई भी निशान बाकी नहीं रह जाता। ऑपरेशन के दौरान यह भी पाया गया कि मरीज की पित्त की थैली को खून पहुंचाने वाली धमनी के रूप में भी परिवर्तन है। जिसमें बड़ी ही कुशलता से ऑपरेशन किया गया। एक घंटे चले इस ऑपरेशन के बाद मरीज पूरे तरीके से स्वस्थ है। विश्व चिकित्सा विज्ञान में साइटस इनवर्सस टोटलिस स्थिति में दूरबीन विधि से एक चीरे से की जाने वाली की पित्त की थैली के मात्र 3-4 केस रिपोर्ट किये गये हैं। यह अपने आप में इस सर्जरी को विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।
ये रहे टीम में शामिल
इस टीम में डॉ। हरेंद्र पंकज, डॉ। समाया बाजपेई, डॉ। प्रियांशी स्वरूप एवं डॉ। पायल चौधरी और एनस्थीसिया विभाग से डॉ। एसएस नाथ, डॉ। राधिका, डॉ। सौम्या, डॉ। रमेश, डॉ। मधु और डॉ। चक्रधर शामिल रहे।