- धूमधाम से मनाया गया लोहड़ी का पर्व, गुरुद्वारा में हुआ विशेष आयोजन

LUCKNOW: राजधानी में लोहड़ी का पर्व बुधवार को धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। गुरुद्वारों में विशेष दीवान का आयोजन किया गया, वहीं स्कूलों और विभिन्न समितियों की ओर से भी लोहड़ी जलाई गई और प्रसाद के रूप में लोगों में मूंगफली और रेवड़ी बांटी गई।

सुख-शांति की कामना

ऐतिहासिक गुरुद्वारा नाका हिंडोला में श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने सभी को लोहड़ी पर्व की बधाई दी। गुरुद्वारा भवन के सामने कोविड गाइडलाइन के अनुसार लोहड़ी की लकडि़यों को अग्नि देकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। लोगों ने इस अग्नि के चारों ओर चक्कर लगाकर सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हुए इसमें रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्का के दोनों की आहूति दी। इसके बाद जमकर पारंपरिक डांस के साथ सुंदर मुंदरिए हो, तेरा कौन विचारा हो गीत गाकर खुशियां मनाई। कार्यक्रम के समापन पर लोगों में प्रसाद के रूप में मक्के के दाने, रेवड़ी, तिल के लड्डू बांटे गए।

परिवार के साथ मनाया त्योहार

पंजाबी समाज के लोग बेटे की पहली शादी के बाद की पहली लोहड़ी या बच्चे के जन्म के बाद की पहली लोहड़ी काफी धूमधाम से मनाते हैं। राजधानी में ऐसे परिवारों के बीच इस पर्व की रौनक देखते ही बन रही थी। लोग घर की छत या आंगन में लोहड़ी जलाकर नाचते-गाते इस पर्व को मना रहे थे।

बाक्स

कॉलेज में जमकर हुआ डांस

गुरु नानक ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज में पि्रंसिपल डॉ। सुरभि गर्ग लोहड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में ग‌र्ल्स शामिल हुई। यहां ग‌र्ल्स ने भांगड़ा और गिद्दा पेश कर माहौल में चार चांद लगा दिए। इस दौरान कॉलेज में रंगोली और मेहंदी कंप्टीशन का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही किया गया।

कोट

लोहड़ी का मजा ही कुछ और

घर में बेटे का जन्म हुआ है। उसकी यह पहली लोहड़ी है, इसलिए ये हम सबके लिए बेहद खास है। घर के सारे सदस्य मिलकर लोहड़ी का पर्व काफी धूमधाम से मना रहे हैं।

गुरप्रीत सिंह और बलजीत कौर

बेटे की शादी के बाद पहली लोहड़ी है। सभी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं। कोरोना खत्म नहीं हुआ है इसलिए कुछ खास लोगों को ही इस खुशी के पर्व पर बुलाया है। लोहड़ी मनाने के बाद हम सब साथ बैठकर खाना खाएंगे।

हरपाल सिंह

शादी के बाद हम दोनों की यह पहली लोहड़ी है। हम परिवार के साथ एक छोटी पार्टी करते हुए इस पर्व को मना रहे हैं। लोग कम होंगे लेकिन लोहड़ी की रौनक और उत्साह पहले की तरह ही बरकरार रहेगा।

हशमीत और इशमीत